रांची: झारखंड में कुड़मी समाज ने आदिवासी (एसटी) का दर्जा देने की अपनी पुरानी मांग को लेकर एक बार फिर बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। शनिवार सुबह से ही आदिवासी कुड़मी समाज मंच के आह्वान पर हजारों की संख्या में लोग रेलवे ट्रैक पर उतर आए, जिससे राज्य के कई हिस्सों में रेल परिचालन पूरी तरह ठप हो गया।
रांची के राय स्टेशन पर दर्जनों प्रदर्शनकारी हाथों में झंडा लिए पटरियों पर बैठ गए। वहीं, मूरी स्टेशन के आसपास भी सुबह से भारी भीड़ उमड़ी हुई है। बोकारो, गिरिडीह और आसपास के कई छोटे स्टेशनों पर भी आंदोलनकारियों ने कब्जा कर लिया है। कई जगहों पर लोग तड़के 4 बजे से ही स्टेशन पहुंचकर ट्रैक पर बैठ गए, जिससे ट्रेनें जाम हो गईं।
पुलिस और प्रशासन ने देर रात तक कुर्मी बहुल इलाकों में बैरिकेडिंग कर आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसका खास असर देखने को नहीं मिला। अब आपात स्थिति से निपटने के लिए सभी संवेदनशील रेलवे स्टेशनों पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती कर दी गई है।
पुराना है आंदोलन का इतिहास
कुड़मी समाज की यह मांग नई नहीं है। साल 2022 में भी इसी दिन यानी 20 सितंबर को बड़े पैमाने पर रेल रोको आंदोलन शुरू हुआ था, जो करीब 9 दिनों तक चला था। इसके बाद 2023 में भी 20 सितंबर से ही आंदोलन की शुरुआत हुई और यह एक हफ्ते से ज्यादा चला। साल 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कारण आंदोलन स्थगित रहा, लेकिन इस साल यह आंदोलन दिल्ली के जंतर मंतर तक अपनी आवाज पहुंचा चुका है।
राजनीति में असमंजस
यह मुद्दा राज्य की राजनीति के लिए भी मुश्किल खड़ा करता रहा है। बड़े राजनीतिक दल न तो इस आंदोलन का खुलकर समर्थन कर पा रहे हैं और न ही विरोध। आंदोलनकारियों का कहना है कि जब तक कुड़मी समाज को आदिवासी का दर्जा नहीं मिलता, उनका संघर्ष जारी रहेगा।
झारखंड में कुड़मी समाज का रेल रोको आंदोलन शुरू, कई जिलों में ठप हुआ रेल परिचालन










