रांची: 15 दिनों के एकांतवास से बाहर आए भगवान जगन्नाथ, हुआ नेत्रदान

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रांची: 15 दिनों के एकांतवास के बाद शनिवार को भगवान जगन्नाथ भाई बलभद्र स्वामी और बहन सुभद्रा के साथ बाहर आए। भगवान जगन्नाथ का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ नेत्रदान हुआ। भगवान का एकांतवास खत्म होने की खुशी में 108 दीपों से भगवान की मंगलआरती, जगन्नाथ अष्टकम, गीता के द्वादश अध्याय का पाठ और भगवान की स्तुति हुई। मालपुआ सहित अन्य मिष्ठान्नों का भोग लगाया गया। भगवान रात 9 बजे तक भक्तों को दर्शन मंडप में दर्शन देंगे और रात्रि विश्राम करेंगे।
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा सात जुलाई को निकाली जाएगी। इस दिन सुबह चार बजे से भगवान की पूजा शुरू हो जाएगी। रथ के ऊपर सभी विग्रहों का श्रृंगार होगा। विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना होगी। इस अनुष्ठान के बाद विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना में शामिल भक्त रथ पर सवार होकर भगवान को पुष्प अर्पित करेंगे।
रविवार शाम पांच बजे रथयात्रा शुरू होगी। भक्त रस्सी के सहारे रथ को खींच कर मौसीबाड़ी लायेंगे, जहां महिलाएं भगवान की पूजा करेंगी। शाम सात बजे तक सभी विग्रहों को मौसीबाड़ी में रखा जायेगा। फिर आरती और भोग निवेदन होगा। रात आठ बजे भगवान का पट बंद कर दिया जायेगा, जो अगले दिन सुबह पांच बजे खुलेगा। आठ जुलाई को सुबह छह बजे मंगल आरती व बाल भोग लगाया जायेगा। दोपहर 12 बजे अन्न भोग लगाया जायेगा और 12:10 बजे पट बंद हो जायेगा। दोपहर तीन बजे मंदिर का पट पुन: खुलेगा, जो रात आठ बजे तक खुला रहेगा। शाम 7:30 बजे आरती व भोग निवेदन होगा। रात आठ बजे पट बंद हो जायेगा। यह क्रम 16 जुलाई तक चलेगा। 16 जुलाई को रात में भगवान को गुंडिचा भोग लगाया जायेगा। खीर, खिचड़ी और सब्जी का भोग लगेगा। पूरे साल में सिर्फ एक ही दिन रात्रि में गुंडिचा भोग लगता है। 17 जुलाई को घुरती रथ यात्रा है।