संसार से वैराग्य सराहनीय,लेकिन भगवान से वैराग्य निंदनीय है : जीयर स्वामी

ख़बर को शेयर करें।

शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– भोग और भोज के पीछे भागते इंद्रियों को नियंत्रित करके ही बेहतर जीवन की कल्पना की जा सकती है। इसके लिये मानव का एक मात्र कर्म सत्आचरण युक्त जीवन व्यतीत करना है, जो मानव का प्रथम धर्म है। जीवन का प्रथम साधन आचरण है। जो मर्यादित आचरण के साथ जीते हुए दूसरों को मर्यादा का संदेश देता है, वही आचार्य है। उपरोक्त बातें श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने कहीं। उन्होंने भागवत पुराण में वर्णित कथा देवहूति-कपिल संवाद की विवेचना करते हुए कहा कि संसार में मानव का आना तभी सार्थक है, जब विषय का त्याग कर परमात्मा की साधना करें। अयोध्या, वृंदावन एवं अन्य तीर्थो में केवल जाने व रहने से कल्याण नहीं होता बल्कि वहां की मर्यादा में रहने से कल्याण होता है। क्षणिक वैराग्य किसी काम का नहीं। संसार से वैराग्य सराहनीय है, लेकिन भगवान से वैराग्य निंदनीय है।

केवल भोग और भोज में जीवन बिताना संसार में आने का उद्देश्य नहीं है। संसार में रहकर विषयासक्ति से मुक्त जीवन व्यतीत करना और शरीर त्यागने के बाद मुक्ति प्राप्त करना जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिए। इन्हें ही शास्त्रों में क्रमशः जीवन मुक्ति और विदेह मुक्ति कहा गया है। उन्होंने कहा कि मुक्त दिखना और मुक्त रहना दोनों में अन्तर है।

जेल में रहने वाले सामान्य कैदी, जेल परिसर में शारीरिक बंधन में नहीं रहते, लेकिन जेल के चहारदिवारी के बंधन में होते हैं। स्वामी जी ने कहा कि दुनिया में सूत्र का बहुत बड़ा महत्व है। दुनिया सूत्र पर चलती है। व्यास जी ने ब्रह्म द्वारा निर्मित संसार से मानव को अवगत कराने के लिए ब्रह्मसूत्र का प्रणयन किया। आदि शंकराचार्य के ब्रह्मसूत्र की व्याख्या अद्वैत दृष्टि से की। उनके भाष्य को शांकर भाष्य से जाना जाता है।रामानुज स्वामी ने विशिष्टाद्वैत की दृष्टि से भाष्य किया। उनके भाष्य को श्री भाष्य के नाम से जाना जाता है। सभी भाष्यों एवं शास्त्रों का तात्पर्य लोक कल्याण से है। परमात्मा से अलग दुनिया में कुछ भी नहीं है।

स्वामी जी ने कहा कि शरीर, अन्तःकरण और आत्मशुद्धि के लिए आसन और प्राणयाम नियमित रूप से करना चाहिए। शरीर में रहने के कारण आत्मा को भी अपवित्र माना जाता है, लेकिन आत्मा अपवित्र नहीं होती। इसमें कोई दोष नहीं होता। भगवान कपिलदेव ने माता देवहूति को सांख्यदर्शन के अन्तर्गत तत्वशास्त्र का उपदेश दिया। उन्होंने प्रकृति और पुरूष से ऊपर और उनके अधिष्ठाता कमलाक्ष (विष्णु) को बताया। ईश्वर के अधीन ही प्रकृति और पुरूष के सान्निध्य सृष्टि की रचना होती है । 

स्वामी जी ने कहा कि शरीर निर्माण में प्रकृति के चौबीस और उनके साथ पुरूष को मिलाने से पच्चीस तत्त्व भागीदार हैं। भौतिक शरीर में पांच महाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) के साथ पांच ज्ञानेन्द्रिय (आंख, कान, नाक, जीभ और चरम) पांच कर्मेन्द्रिय (हाथ, पैर, मुंह, लघुशंका और मलद्वार) के साथ-साथ मन, बुद्धि, चित और अहंकार, ये चार अंतःकरण हैं। मानव शरीर रूपी नगर (पुर) की परम चेतन तत्त्व परमात्मा का भी वास होता है। शरीर रूपी पुर में स्थित ईश्वर के लिए ही पुरूष शब्द का प्रयोग होता है।

कापिल सांख्य के अनुसार प्रकृति-पुरूष से ऊपर और उनके नियंता ईश्वर हैं। उन्हीं के इशारे पर प्रकृति- पुरुष का संयोग होता है जिससे सृष्टि का विकास (उत्पत्ति) होता है। परवर्ती सांख्य शास्त्र में उल्लेख नहीं किया और केवल प्रकृति-पुरूष के संयोग से सृष्टि की व्याख्या करने का दुस्सह प्रयास किया। यह सांख्य नास्तिक सांख्य मत के रूप में जाना जाता है और इसमें अनेक त्रुटियाँ हैं।

Video thumbnail
क्या आपको पसंद है गोलगप्पा? जानिए उसके पीछे का काला सच
05:26
Video thumbnail
गोलगप्पे बनाने के लिए पैर से गूंथा आटा, स्वाद बढ़ाने के लिए हार्पिक और यूरिया का इस्तेमाल
02:17
Video thumbnail
बहराइच रामगोपाल मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी और एक का आरोपी का एनकाउंटर भाग रहे थे नेपाल!
00:54
Video thumbnail
मझिआंव: 42 लीटर महुआ शराब जब्त, 1500 किलो जावा किया गया नष्ट
04:46
Video thumbnail
मंदिर व मस्जिद में मांस फेंकवा कर दंगा कराने का काम करते हैं विधायक भानु : अनंत
04:21
Video thumbnail
सुप्रसिद्ध भजन गायिका अंजलि भारद्वाज का 19 अक्टूबर को गढ़वा में हो रहा आगमन
02:56
Video thumbnail
19 अक्टूबर को गढ़वा आ रहे भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडेय
02:49
Video thumbnail
बसपा के भावी प्रत्याशी अजय मेटल ने क्या कहा, सुनें
07:18
Video thumbnail
झारखंड बीजेपी ने प्रत्याशियों की पहली संभावित लिस्ट !देखें कौन कहां से!
00:47
Video thumbnail
गया में ब्रह्मदेव प्रसाद के इनोवा गाड़ी का भीषण हादसा, ड्राइवर की मौत, दो लोग गंभीर रूप से घायल
01:48
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles