Monday, June 30, 2025
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राजस्थान में ASI की खुदाई में मिला सरस्वती नदी का निशान, 5 कालखंडों के प्रमाण और 4500 साल पुरानी बस्ती के अवशेष; 1700 साल पुराना नरकंकाल भी मिला

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डीग: राजस्थान के डीग जिले के बहज गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) की खुदाई साइट पर टीम को हजारों साल पुराने शहर के अवशेष मिले है। इस पुरातात्विक उत्खनन ने भारत के प्राचीन इतिहास को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। खुदाई में पांच अलग-अलग कालखंडों के प्रमाण मिले हैं, जिनमें हड़प्पा उत्तरकाल, महाभारत काल, मौर्य काल, कुषाण काल और गुप्तकाल तक की सभ्यताओं की परतें शामिल हैं।

इस खुदाई में लगभग 4500 साल पुरानी एक सभ्यता के अवशेष मिले हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि खुदाई में जमीन के 23 मीटर नीचे एक नदी का बहुत पुराना और गहरा सूखा रास्ता (पैलियो-चैनल) मिला है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वही पौराणिक सरस्वती नदी हो सकती है, जिसका ज़िक्र हमारे पवित्र ग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है। माना जा रहा है कि इसी नदी के किनारे यह प्राचीन सभ्यता बसी थी और शुरुआती इंसानी बस्तियों को पानी मिलता था। 23 मीटर गहराई में दबा यह जल-प्रणाली तंत्र दर्शाता है कि इस क्षेत्र में हजारों साल पहले उन्नत और सुनियोजित बस्तियां थीं। खुदाई में मिट्टी के बर्तन, तांबे के सिक्के, यज्ञ कुंड और मौर्यकाल की मूर्तियां ये सब बताते हैं कि ये ब्रज क्षेत्र सिर्फ धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का भी केंद्र रहा है। इसी साइट पर टीम को गुप्त काल (करीब 1700 साल पहले) का एक नरकंकाल भी मिला है।। नर-कंकाल को रिसर्च के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) भेजा गया है।

ASI की खुदाई में मिले नरकंकाल की तस्वीर

इसके ऊपर की लेयर में प्राचीनतम गैरिक सभ्यता के अवशेष मिले हैं। इसके बाद चित्रित धूसर संस्कृति के अवशेष में कई तरह के टैरेकोटा (मिट्‌टी) के बर्तन, प्रिंडेट बर्तन, मूर्तियां और तांबे-चांदी के सिक्के मिले हैं। साथ ही 15 यज्ञ कुंड, शिव पार्वती की मूर्तियां मिली हैं जो वेदों और शास्त्रों की पूजा पद्धतियों की ओर इशारा करती हैं। इस साइट पर कई मिट्टी की मूर्तियां भी निकली हैं। ये ईसा से 1000 साल (3 हजार साल पुरानी) पुरानी हैं। यहां 4 अधपकी मुहरें मिली हैं। इनमें से 2 पर ब्राह्मी लिपी अंकित है। लोहे-हड्‌डी के अलग-अलग तरह के औजार भी निकले हैं। ये भारतीय उपमहाद्वीप में ब्राह्मी लिपि के सबसे पुराने नमूने हो सकते हैं। इस साइट पर जो भी अब तक मिला है उसकी एक रिपोर्ट संस्कृति मंत्रालय को भेजी गई है। खुदाई में निकलीं वस्तुओं को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है उस काल का जीवन काफी समृद्ध था। खुदाई का काम लगभग पूरा हो चुका है और अब बारिश का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में साइट को पैक कर दिया गया है।

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