Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि आज, जानें भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

On: July 23, 2025 3:15 AM

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Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह भगवान शिव को समर्पित सावन महीने में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती ने मिलकर शांत ‘तांडव’ नृत्य किया था। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की विशेष पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से सारे दुख दूर होते हैं, सारी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस साल सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, यानी आज पड़ रही है। सावन में वैसे तो हर एक दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का महत्व होता है, लेकिन सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।
जलाभिषेक के शुभ मुहूर्त
जलाभिषेक का पहला मुहूर्त- आज सुबह 4 बजकर 15 मिनट से लेकर सुबह 4 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
दूसरा मुहूर्त- आज सुबह 8 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक।
पूजन मुहूर्त
प्रथम पहर के पूजन का समय आज शाम 7 बजकर 26 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 6 मिनट तक रहेगा।
दूसरे पहर का पूजन मुहूर्त आज रात 10 बजकर 6 मिनट से लेकर 24 जुलाई की रात 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।
तीसरे पहर का पूजन मुहूर्त 24 जुलाई की रात 12 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 3 बजकर 27 मिनट तक रहेगा।
चौथे पहर का पूजन मुहूर्त 24 जुलाई को सुबह 3 बजकर 27 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।
निशिता काल का समय- 24 जुलाई यानी कल रात 12 बजकर 25 मिनट से लेकर 1 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।
सावन शिवरात्रि पूजन विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
शिवलिंग का गंगा जल, दूध, आदि से अभिषेक करें।
भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की पूजा अर्चना भी करें।
भगवान गणेश की पूजा अवश्य करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।
भोलेनाथ का अधिक से अधिक ध्यान करें।
ऊॅं नम: शिवाय मंत्र का जप करें।
भगवान भोलेनाथ को भोग लगाएं।
सावन शिवरात्रि महत्व
सावन माह मे पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है वहीं फाल्गुन माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से मनाया जाता है। सावन माह की शिवरात्रि के दिन व्रत, पूजन के साथ ही भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत मंगलकारी माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महादेव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे। तब से हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष फलदाई माना गया है।शिवजी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन जलाभिषेक,रुद्राभिषेक,दुग्धाभिषेक करने के साथ-साथ पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक कर भक्त सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।