नई दिल्ली: समलैंगिंक जोड़ों के शादी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने खास टिप्पणी की ꫰ यह मामला पांच जजों की पीठ के सामने था जिसकी अगुवाई सीजेई डी वाई चंद्रचूड़ कर रहे थे, फैसले से पहले अदालत ने कई अहम टिप्पणी की ꫰ सीजेआई ने कहा कि आर्टिकल 21 के तहत यह अधिकार है, इसके साथ ही जेंडर और सेक्सुअलिटी दो अलग-अलग मुद्दे हैं ꫰ हर एक को अपने जीवनसाथी के चुनने का अधिकार है ꫰ कसी भी शख्स की मनोस्थिति का भी ध्यान रखा जाना चाहिए ꫰ होमो सेक्सुअल को भी समान अधिकार मिलना चाहिए ꫰
फैसले से पहले सीजेआई ने क्या कहा
• सीजेआई ने कहा कि कोर्ट का कितना दखल जरूरी इस पर विचार जरूरी
• सरकार ने कहा कि समलैंगिकता सिर्फ शहरों तक सीमित है
• ये बात अलग है कि समलैंगिक गांवों में भी रहते हैं
• सबको अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है
• समय के साथ जीवनशैली में बड़े बदलाव हुए हैं
• अनुच्छेद 21 के तहत अधिकार है
• जेंडर और सेक्सुअलिटी एक नहीं हैं
• स्पेशल मैरिज एक्ट में कोर्ट बदलाव नहीं कर सकता
• केंद्र और राज्य सरकारें इस विषय पर भेदभाव खत्म करें
• समलैंगिक शादी के समर्थन में तर्क
• स्पेशल मैरिज के तहत मान्यता दिए जाने का तर्क
• मौलिक अधिकार से जुड़ा है मामला
• संवैधानिक व्यवस्था से नहीं जुड़ा है केस
• शहरी सोच का नतीजा नहीं
• कानूनी हक के दायरे से बाहर हैं बच्चे
केंद्र सरकार की दलील
• यह जटिल विषय है और समाज पर असर पड़ेगा
• इस विषय पर सरकार कमेटी गठित करने के लिए है तैयार
• अलग अलग धर्मों में समलैंगिक शादी को मान्यता नहीं
• समलैंगिक जोड़ों को बच्चों के गोद लेने पर ऐतराज
• अलग अलग किस्म के दावों की होगी शुरुआत
11 मई को फैसला रखा गया था सुरक्षित