विद्या की देवी मां सरस्वती की प्रतिमा के निर्माण में अंतिम रूप देने में जुटे मूर्तिकार, 14 फरवरी को बसंत पंचमी

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शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा को लेकर मूर्तिकारों द्वारा दिन-रात मेहनत कर प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं। सरस्वती की प्रतिमा निर्माण करने वाले कलाकारों ने प्रतिमाओं पर रंगों का ब्रश चलाना तेज कर दिया है। अब पूजा के दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में विभिन्न स्तरों पर पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है। इस वर्ष 14 फरवरी दिन बुधवार को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन विद्या के अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना की जाएगी। इसकी तैयारी विभिन्न स्थानों सहित शैक्षणिक संस्थानों में की जा रही है। श्री बंशीधर नगर अनुमंडल मुख्यालय में विभिन्न जगहों पर मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने का कार्य किया जा रहा है। इधर मां सरस्वती की पूजा बसंत पंचमी को लेकर छात्र-छात्राओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है।

1977 से मूर्ति बनाने का कर रहे कार्य : मूर्तिकार श्रवण कुमार

शहर के हेन्हों मोड़ स्थित स्टेट बैंक के सामने तंबू लगाकर मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे मूर्तिकार श्रवण कुमार ने बताया कि वे पिछले 47 वर्षों से मूर्ति बना रहे हैं। उनका ये पुश्तैनी कारोबार है। उन्होंने कहा कि मां सरस्वती की मूर्ति को विभिन्न डिजाइनों में मांग के अनुसार बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रतिमा निर्माण करने के लिए उन्हें मिट्टी के अलावा सभी सामान खरीदने पड़ते हैं। हम लोग दिसंबर महीने से ही मूर्ति बनाने का कार्य शुरू कर देते हैं। इस वर्ष लगभग 100 से कम संख्या में मां सरस्वती की प्रतिमा बना रहे हैं। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बहुत कम है। मूर्तिकार ने बताया कि बड़ी मूर्ति बनाने में करीब चार से पांच दिन व छोटी मूर्ति करीब 2 से 3 दिन में बनाई जाती है। मूर्ति बनाने के कार्य में पेंटर व सहायक भी लगते हैं। मूर्तिकार श्रवण कुमार ने बताया कि प्रतिमाएं न्यूनतम 1000 से 4000 तक की उपलब्ध है। महंगाई के बावजूद भी कम मुनाफे में ही मूर्ति का मूल्य में नही के बराबर रखा है। सिग्नेचर बड़ी होगी बसंत पंचमी के अवसर पर स्थापित कर पूजा अर्चना करते हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए न्यूनतम दर पर छोटी से लेकर बड़ी मूर्ति बनाई गई है।

कर्मकांडी पंडित सोमेश्वर तिवारी

किस दिन होती है सरस्वती पूजा?

कर्मकांडी पंडित सोमेश्वर तिवारी ने हिंदू पंचांग के मुताबिक बताया कि हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही सरस्वती पूजा का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पावन तिथि 14 फरवरी को है। मान्यताओं के अनुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था। उन्होंने बताया कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा के मुख से वसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती प्रकट हुई थी। इसलिए इस दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। मां सरस्वती को विद्या, बुद्धि, संगीत, कला और ज्ञान की देवी माना जाता है।

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