रांची: झारखंड के पूर्वी सिंहभूम पश्चिमी सिंहभूम सरायकेला खरसावां तीन जिलों के तकरीबन तीन दर्जन संगठनों और दूसरे प्रदेशों के तकरीबन एक दर्जन संगठनों के माओवादियों से गठजोड़ की आशंका स्पेशल ब्रांच ने जताई है और स्पेशल ब्रांच के इस फरमान के बाद इन संगठनों के निगरानी में झारखंड पुलिस लग गई है। कई संगठन स्पेशल ब्रांच के रडार पर आ गए हैं। जिससे इन संगठनों में हड़कंप मच गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पूर्वी सिंहभूम में तकरीबन 20,पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) में 9, सरायकेला-खरसावां में 6 संगठनों की भूमिका संदेह के घेरे में है।इनमें से कई ऐसे भी संगठन है, जो एक साथ कई जिले में संचालित हो रहे हैं।कोल्हान के जिले अति माओवाद संवेदनशील इलाके माने जाते हैं।अति नक्सल प्रभावित जिलों में सरायकेला-खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम शामिल हैं।पूर्वी सिंहभूम में कुछ वर्ष पहले तक नक्सली गतिविधियां संचालित की जाती थी, लेकिन इन दिनों यहां उनकी गतिविधि बंद है।
स्पेशल ब्रांच की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड जनाधिकार महासभा, झारखंड जन संघर्ष मोर्चा, विस्थापन विद्रोही जन विकास आंदोलन, झारखंड क्रांतिकारी मजदूर यूनियन, झारखंड काउंसिल फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स, एकता परिषद, जंगल बचाओ आंदोलन, झारखंड एनआरईए वॉच, ट्राईबल रिसर्च और ट्रेनिंग सेंटर, झारखंड लोकतंत्र बचाओ मंच, सीपीआई, गांव गणराज्य परिषद, हासा और भाषा जगाओ संगठन, आदिवासी मूलवासी विकास मंच, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया, एआईडीएसओ, एआईडीएफ, विस्थापित मुक्ति वाहिनी, झारखंड ऑर्गेनाइजेशन अगेंस्ट रेडिएशन जादूगोड़ा, जल जंगल सुरक्षा समिति, झारखंड विस्थापन विद्रोही एकता मंच, दलमा जन मुक्ति संघर्ष वाहिनी, झारखंड मुक्ति वाहिनी, दलमा मुक्ति वाहिनी, वन समिति, अखिल भारतीय क्रांतिकारी आदिवासी महासभा सहित अन्य संगठन हैं।पुलिस ने इनकी निगरानी शुरू कर दी है।