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बोकारो:नवाडीह प्रखंड अंतर्गत पैक नारायणपुर गांव में मॉब लिंचिंग में 24 वर्षीय अब्दुल कलाम उर्फ मानु की नृशंस हत्या पर परिवार को झारखंड के मुख्यमंत्री ने ₹100000 का आर्थिक सहयोग, मॉब लिंचिंग कानून के तहत ₹400000 मुआवजा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से आउटसोर्सिंग माध्यम से परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का ऐलान किया था।जिस पर भारतीय जनता पार्टी के नेता बाबूलाल मरांडी ने सवाल उठाते हुए हेमंत सरकार को घेरा था और ट्वीट कर आरोप लगाया था कि दुष्कर्मी के लिए मुआवजा और पीड़िता के लिए मौन! यही है हेमंत सोरेन का झारखंड मॉडल। जबकि खबर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भी मॉब लिंचिंग पीड़ित परिवार को ₹100000 मुआवजा देने का ऐलान किया है।

इस संदर्भ में झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने ट्वीट जारी कर कहा था कि बोकारो जिले के नवाडीह प्रखंड अंतर्गत पैक नारायणपुर गांव में मॉब लिंचिंग में 24 वर्षीय अब्दुल कलाम उर्फ मानु की नृशंस हत्या की सूचना मिली थी। जिले के सिविल सर्जन, जिला प्रशासन, डीएसपी, थाना प्रभारी और स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारियों के साथ पीड़ित परिवार से मिलकर हरसंभव सहयोग का भरोसा दिया।

शोक संतप्त माँ को गले लगा करके उनका दुख बांटने का प्रयास किया। सोचिए उस मां पर क्या बीत रही होगी जिसका जवान बेटा उसके सामने बेरहमी से मार दिया गया हो। यह सोचकर ही मन विचलित हो जाता है।

जो गलत है, वो गलत है। सभ्य समाज में हिंसा की कोई जगह नहीं है। अगर किसी ने गलती की है तो उसके लिए कानून है — सज़ा देने का हक अदालत का है, भीड़ का नहीं। दोषी चाहे जो हो, उसे हर हाल में कानून के शिकंजे में लाया जाएगा।

आदरणीय राहुल गांधी जी की ओर से ₹1,00,000 की आर्थिक सहायता, मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी की ओर से ₹1,00,000 का सहयोग और मॉब लिंचिंग कानून के तहत ₹4,00,000 मुआवज़ा साथ ही, स्वास्थ्य विभाग की ओर से आउटसोर्सिंग के माध्यम से परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जायेगी।

जिला प्रशासन को हमने निर्देशित करते हुए दोषियों को जल्द सख्त सजा दिलाने का निर्देश दिया है। अपराधी का कोई धर्म नहीं होता, सिर्फ कानून होता है। किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा।

वहीं दूसरी ओर झारखंड बीजेपी के नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर इस पर सवाल उठाते हुए क्या कहा था देखें

“दुष्कर्मी के लिए मुआवज़ा, पीड़िता के लिए मौन,यही है हेमंत सोरेन का झारखंड मॉडल?”

“दुष्कर्मी के लिए मुआवज़ा, पीड़िता के लिए मौन,यही है हेमंत सोरेन का झारखंड मॉडल?”

बोकारो के कडरूखुट्ठा गांव में एक आदिवासी महिला तालाब में स्नान करने गई थी। वहीं गांव में काम कर रहा अब्दुल कलाम, महिला से छेड़खानी करता है और दुष्कर्म की कोशिश करता है। महिला चिल्लाती है, ग्रामीण जुटते हैं, और आरोपी की जमकर पिटाई होती है। पिटाई के दौरान उसकी मौत हो जाती है। घटना दुखद है, क्योंकि कानून को हाथ में लेना सही नहीं।

लेकिन उससे भी ज़्यादा शर्मनाक है इसके बाद झारखंड सरकार और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया, जिन्होंने पीड़िता को भूलकर पूरी संवेदना उस व्यक्ति के लिए लुटा दी जो एक आदिवासी महिला का बलात्कार करना चाहता था।

कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने पूरे मामले को ‘मॉब लिंचिंग’ कहकर मुस्लिम उत्पीड़न की कहानी बना दी। हेमंत सोरेन सरकार ने तत्काल अब्दुल कलाम के परिवार को ₹4 लाख मुआवज़ा, ₹1 लाख सहायता राशि और स्वास्थ्य विभाग में नौकरी तक ऑफर कर दी — एक बलात्कारी के साथ शहीद जैसी राजकीय सहानुभूति!

यह समझना बहुत अहम है कि राज्य और तथाकथित सेक्युलर ‘विचारधारा’ ने इस मामले को कैसे पलट दिया।

डॉ. इरफान अंसारी जैसे नेता इस मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देकर आदिवासी समाज के घाव पर नमक छिड़कते हैं, जबकि झारखंड सरकार पूरी तरह वोटबैंक तुष्टिकरण में लिप्त है।

बलात्कारी अगर “राजनीतिक रूप से सुरक्षित समुदाय” से हो, तो उसके घर को ही ‘पीड़ित परिवार’ घोषित कर दिया जाता है।

हेमंत सोरेन सरकार से एक सवाल —

क्या आदिवासी अब इस राज्य में दोयम दर्जे के नागरिक हैं?

क्या आदिवासी स्त्रियों की अस्मिता अब आपकी राजनीति के लिए ‘दूसरी प्राथमिकता’ बन चुकी है?

या सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि यह मामला ‘धर्मनिरपेक्ष नैरेटिव’ के खिलाफ जाता है?

झारखंड की सरकार ने एक आदिवासी महिला की चीखों को अनसुना कर दिया — सिर्फ इसलिए कि आरोपी की पहचान उनके ‘वोटबैंक’ से मेल खाती थी।

बहरहाल इस मामले को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता के बीच आरोप प्रत्यारोप शुरू है। अब देखना है आगे क्या होता है।

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