कल पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ शरद पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है
इस शुभ अवसर पर भक्तजन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं। घरों और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं तथा धन-समृद्धि की कामना की जाती है। कई स्थानों पर कल रात लक्ष्मी पूजन और भजन संध्या का आयोजन किया गया है।
भक्तजन दूध, चावल और मिश्री से बनी खीर तैयार कर उसे खुले आसमान के नीचे चांदनी में रखते हैं, क्योंकि माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों से वह खीर अमृतमयी हो जाती है। अगली सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा का चंद्र उदय कल रात लगभग 6 बजकर 25 मिनट पर होगा, जबकि पूर्णिमा तिथि 7अक्टूबर की सुबह 4 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। इसी दौरान चंद्रमा के दर्शन और चांदनी में खीर रखने का विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी शरद पूर्णिमा की रात विशेष मानी जाती है। खगोलविदों का कहना है कि इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और उसकी किरणों से वातावरण में ठंडक और ऊर्जा का संचार होता है। यही कारण है कि इस रात को “अमृत वर्षा की रात” कहा जाता है शरद पूर्णिमा की यह शुभ रात धन, स्वास्थ्य और मानसिक शांति की प्रतीक मानी जाती है। इस पर्व के जरिए लोग प्रकृति, चंद्रमा और देवी लक्ष्मी के प्रति आभार प्रकट करते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
शरद पूर्णिमा 2025:अमृत बरसाएंगे चांद, देशभर में मां लक्ष्मी की आराधना और खीर का विशेष महत्व

By NitikaSingh
On: October 5, 2025 9:19 PM

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