(जड़ और चेतन दोनों के अपने-अपने धर्म हैं) (धर्म सिर्फ दिखावा नहीं, प्रैक्टिकल होना चाहिए
शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– श्री बंशीधर नगर स्थित पाल्हे-जतपुरा में श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्ना जियर स्वामी जी महाराज की ओर से संकल्पित चतुर्थमासव्रत के अवसर पर श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कहां की दुनिया धर्म पर टिका है। जड़ और चेतन दोनो का अपना-अपना धर्म होता है। धर्म हमारे जीवन को मर्यादित बनाता है। मानव अपने धर्म से विमुख हो जाए तो संसार का संचालन रूक जायेगा। उन्होंने भागवत कथा में सूत जी द्वारा धर्म की व्याख्या की चर्चा करते हुए कहा कि सूत जी के अनुसार धर्म मानव जीवन की सीढ़ी है। श्री स्वामी जी ने कहा कि धर्म से अभिप्राय सिर्फ पूजा-वंदना नहीं। जो जिस निमित्त है, उसके द्वारा संबंधित कार्य का संपादन ही धर्म है। संसार का संचालन धर्म के आधार पर ही हो रहा है।
