सिमडेगा: मां बाघचंडी मंदिर में भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी, दर्शन मात्र से बनेंगे बिगड़े काम

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सिमडेगा: सदियों से विराजमान मां बाघचंडी भक्तों के आस्था का केंद्र है कोलेबिरा-मनोहरपुर मुख्य सड़क स्थित मां बाघचंडी मंदिर जहां काफी दूरदराज से झारखंड,बिहार ,छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल से मां के दर्शन के लिए भक्त पहुंचते हैं। मां के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता सबकी मनोकामना मां बाघचंडी पूर्ण करती हैं।


मंदिर का इतिहास विस्तृत रूप में मंदिर के पुजारी पंचम सिंह और छत्रपति सिंह की जुबानी


मां बाघचंडी मंदिर के मुख्य पुजारी पंचम सिंह और छत्रपति सिंह ने बताया कि आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व की बात है कलहाटोली में कोलेबिरा-मनोहरपुर मुख्य पथ पर मां जगदंबा रूपी चंडीका देवी की एक शीला दिखा।उस शिला पर बाघ के पंजे का निशान है। यह पुरातन है जिस समय यहां पर घनघोर जंगल हुआ करता था। सड़क या आवागमन की सुविधा बिल्कुल नहीं थी तब यहां पर एक छोटी सी पगडंडी हुआ करती थी। गोधूलि बेला में उस समय बाघ इस जगह पर आर पार हुआ करता था।ऐसी मान्यता थी कि सौभाग्य से जिस भक्त को मां का दर्शन होता था बाघ उसके सामने स्वयं प्रकट होकर उन्हें दर्शन देते थे।तब धीरे-धीरे लोगों में आस्था बढ़ने लगी पूरे क्षेत्र में इसकी चर्चा होने लगी। कलहा टोली रास्ते पगडंडी से आने जाने वाले राहगीर मां दुर्गा रूपेन चंडिका देवी को  अास्था से छोटे छोटे कंकड़ छोटे छोटे पत्थर एवं जंगल के पुष्प एवं पेड़ की छोटी नन्हें टहनियाँ अर्पित कर मां दुर्गा रूपेन चंडिका से आशीर्वाद प्राप्त करते थे! कहा जाता है दुसरे गांव के राजा एवं जमीनदार गंझू हाथी में सवार हो कर यात्रा करते थे एक दिन कलहाटोली मार्ग से आवागमन के दौरान  मां बाघचंडी की शक्ति से प्रभावित राजा एवं जमीनदार गंझू ने  मां दुर्गा रूपेन चंडिका के वाहन बाघ के पंजे का चिन्ह शीला को अपने साथ  ले जाने के लिए रात्रि में अपने साथ हाथी चढ़ा कर ले गए थे !अर्ध रात्रि में मां बाघचंडी राजा एवं जमीनदार गंझू को सपने में दर्शन दे कर पुन:अपने  निवास स्थान कलहा टोली वापस लौटाने की बात कही!  राजा एवं जमीनदार गंझू पुन: हाथी में  दुर्गा रूपेन चंडिका की सवारी बाघ की पंजे शीला को कलहा टोली मां बाघचंडी के निवास स्थान पर वापस छोड़ कर मां बाघचंडी से क्षमा मांगी एवं मां बाघचंडी से आशीर्वाद लेकर वापस लौट गए! मां बाघचंडी की शक्ति अपरंपार है। वर्तमान पुजारी पंचम सिंह ने बताया हमारे पूर्वज सैकड़ों वर्ष से मां की पूजा सेवा करते आ रहे हैं।यहां के सर्वप्रथम पुजारी के रूप में  परदादा स्वर्गीय बहुरन सिंह कलहा टोली निवासी रौतिया समाज के जो कुंभ वंश के थे पूजा पाठ करते थे और यहां गांव गंजारी यानी  ग्रामदेव के पूजा पाठ में भी वे अगुवाई करते थे।बहुरन सिंह के निधन के बाद उत्तराधिकारी के रूप में दादा जी उनका बड़ा बेटा स्वर्गीय नादू सिंह इस देवी रुपी शीला (मां-बाघ चंडी) की पूजा सेवा करने लगे। उन्होंने बहुत ही भक्ति भाव और श्रद्धा पूर्वक मां की 80-90 साल तक सेवा पूजा की। नादू सिंह के निधन के बाद उनका तीसरा लड़का  पिता जी स्वर्गीय लगन सिंह उत्तराधिकारी के रूप में मां की पूजा सेवा करने लगे। इन्हीं के समय में मां बाघचंडी का नाम विख्यात होने लगा और धीरे-धीरे यहां पर परिवर्तन भी होने लगा। जब लोगों में इनकी आस्था बढ़ने लगी तो स्वर्गीय लगन सिंह के मन में विचार हुआ कि एक मंदिर बनाया जाए और चूंकि मंदिर के लिए जगह नहीं था इसलिए सभी के सहयोग से  मंदिर बनाकर 12 फरवरी 2012 ई. मां-बाघचंडी को स्थापित किया गया। तत्पश्चात प्रतिवर्ष मंदिर स्थापना वर्ष के रूप में प्रतिवर्ष 12,13 और 14 फरवरी को बाघचंडी वार्षिक महोत्सव कलश यात्रा, अखंड हरिकीर्तन के रूप में मनाया जाता है और मेला भी लगती है। लगन सिंह ने भी अपने जीवन काल में पूरे भक्ति भाव और श्रद्धापूर्वक मां-बाप चंडी की पूजा सेवा की और 24 दिसंबर 2021 को जब इनकी मृत्यु हुई तब मां बाघचंडी की सेवा के लिए अपने दोनों बेटों पंचम सिंह और छत्रपति सिंह को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया, तब से पंचम सिंह और छत्रपति सिंह पुजारी के रूप में सेवा करते हैं। कलहा टोली में मां दुर्गा देवी जिनका एक रूप चंडिका देवी भी है। इन्हीं मां चंडिका देवी के साथ एक पत्थर का शीला है जिसमें मां दुर्गा चंडिका की सवारी बाघ के पंजे का निशान है इसीलिए  इसे मां बाघचंडी के नाम से जाना जाता है। मां बाघचंडी के भक्त नंदु अग्रवाल लचडागढ निवासी बाघचंडी मां की महिमा की एक सच्ची घटना बताते हुए कहते हैं 1956 ई. में मैं उस समय बचपन अवस्था में था! मेरे दादा स्वर्गीय दायाराम अग्रवाल एवं मेरे माता जी के साथ कोलेबिरा बैल गाड़ी के साथ गए थे! कोलेबिरा से लौटते समय कच्ची रास्ता पगडंडी जंगल- झाड होते हुए हमलोग बैल गाड़ी से कलहाटोली पहुंचे रात्रि नौ दस बज चुके थे! कलहाटोली बाघचंडी को प्रणाम कर  हम बैल गाड़ी से आगे बढ़ने लगे मैं बैल गाड़ी के पीछे बैठा था मैनें देखा एक बाघ बैल गाड़ी के पीछे पीछे कभी दाए कभी बाए आ रहा है। मैं उत्सुकता से बाघ को देखते हुए आपने दादा स्वर्गीय दायाराम जी को बाघ के बारे बताया मेरे दादा जी पुन: मां बाघचंडी याद कर प्रार्थना की हम बैल गाड़ी से आगे बढ़ाते हुए लचडागढ जलडेगा मोड स्थित देवी मंडप तक पहुंच गए मां दुर्गा चंडिका की सवारी बाघ बैल गाड़ी के पीछे पीछे लचडगढ देवी गुडी तक पहुंच अंतराध्यन हो गया! हम सभी मां बाघचंडी को कोटी कोटी नमन किए मैं हमेशा मां बाघचंडी की आस्था रखता हूँ नमन करता हूँ मां बाघचंडी सभी की मुरादे पूरी करती हैं! मां बाघचंडी  मंदिर में भक्त काफी दूर दराज झारखंड,बिहार,बंगाल उड़ीसा से सैकड़ों भक्त पूजा करने के लिए आते हैं।आदिकाल से विराजमान मां-बाघचंडी आस्था का केंद्र बन गया है जो भी भक्त मां को श्रद्धा भक्ति के साथ कुछ भी मांगते हैं मां उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण करती हैं। मां के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।

आदिकाल से विराजमान है मां दुर्गा आदि शक्ति की सवारी बाघ के पद चिह्न

मां देवी दुर्गा जिनका एक रूप चंडिका देवी भी है। इन्हीं चंडी रुपेन यानी यहां पर विराजमान एक पत्थर की शिला है जिसमें मां की सवारी बाघ के पंजे का निशान है इसीलिए इसे मां-बाघ चंडी के नाम से जाना जाता है।

सदियों से विराजमान मां-बाघचंडी भक्तों के आस्था का केंद्र है कोलेबिरा-मनोहरपुर मुख्य सड़क स्थित मां-बाघ चंडिका मंदिर जहां काफी दूरदराज से झारखंड,बिहार ,छत्तीसगढ़, उड़ीसा, बंगाल से मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं भक्त। मां के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है, मां सबकी मनोकामना पूर्ण करती है।

मां बाघचंडी पूजा प्रबंधनकारिणी समिति के  सदस्यों ने बताया इस वर्ष 2025 में 12 फरवरी  बुधवार को 2025 कलश यात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें बिहार झारखंड, ओडिशा, सहित लचरागढ़ कोलेबिरा, बानो, जलडेगा, सिमडेगा , गुमला जिले के माता के हजारों भक्त कलश यात्रा में शामिल थे।
13फरवरी 2025 गुरुवार सुबह 7बजे अखंड हरि कीर्तन प्रारंभ किया गया है जिसमें विभिन्न ग्रामों से भव्य कीर्तन किया जा रहा है हरे राम हरे कृष्णा कृष्ण कृष्ण हरे हरे से गुंजयमान है। मां बाघ चंडी परिसर,विभिन्न ग्रामों से आए कीर्तन मंडलियों अनेकों राग डमकच, झूमर, हिंदी एवं ओड़िया, नाना प्रकार के राग लय छद से गुंजनमान रहा। भक्ति भाव से नाचे झूमते हुए नजर आए। मां बाघ चंडी मंदिर में पूजा अर्चना कर माता बाघ चंडी से आशीर्वाद ली कर अपने हर मनोकामना पूर्ण होने की मां बाघ चंडी से बिनती प्रार्थना की गई।


14 फरवरी 2025 पूर्णाहूती एवं भंण्डारा का आयोजन किया गया है। मौके पर विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता, बजरंग दल के कार्यकर्ता, मां बाघ चंडी पूजा समित के सभी कार्यकर्ता, माता बाघ चंडी के भक्त जन महिला एवं पुरुष विधि व्यवस्था को बनाए रखने में कोलेबिरा प्रखंड प्रशासन, एवं कोलेबिरा थाना के पुलिस अधिकारी का सहयोग एवं समाज सेवियों का भी अहम योगदान हो रहा है।


14 फरवरी 2025  शुक्रवार पूर्णाहूती , नगर भ्रमण एवं भंण्डारा का आयोजन किया गया है आप सभी भक्तों मां बाघ चंडी के पूर्णाहुति, नगर भ्रमण एवं भंडारा में शामिल हो कर पुण्य की भागी बने। मा बाघ चंडी सभी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करें।

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