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रिपोर्ट :सतीश सिन्हा

बिहार में SIR को लेकर पहले ही सियासत गर्म है और उसका साइड इफेक्ट झारखंड में भी शुरू हो गया है। विपक्ष झारखंड में भी चुनाव आयोग के द्वारा मतदाता विशेष गहन और पुनरीक्षण की मांग करने लगा है जबकि सत्ता पक्ष इसके खिलाफ खड़ा हो गया है और सदन में प्रस्ताव पारित कर इस पर अंकुश लगाने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सत्ता पक्ष के प्रमुख घटक दलों के गुरुवार को बैठक भी हुई है और सहमति बन गई है।

झारखंड के विधानसभा में मानसून सत्र के पहले ही दिन मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में जमकर जुबानी जंग की खबर है। इसके अलावा सदन के बाहर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष में जंग शुरू है।

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 4 अगस्त को सदन के अंदर और बाहर इसका विरोध करने का फैसला किया है और चेतावनी दी है कि किसी भी हाल में एसआईआर लागू नहीं होने दिया जाएगा।

स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने इसका विरोध किया और कहा कि एसआईआर के जरिए मुस्लिम, आदिवासी और दलितों का नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश रची गई है, जिसे किसी भी कीमत पर नहीं होने दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बिहार हमारा है और जो साजिश रची गई है, उसमें भाजपा जानती है कि मुस्लिम, आदिवासी और दलित उसका वोट बैंक नहीं हैं, इसलिए उन्हें मतदाता सूची से हटाने का काम किया जा रहा है, जिसे नहीं होने दिया जाएगा और हम सदन के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे. महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपेंगे.ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडे ने भी बिहार में चल रहे एसआईआर का विरोध किया है. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार जो भी प्रयास कर रही है, उसमें विपक्ष से भी कुछ इनपुट जरूर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें राहुल गांधी की बात सुनने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि उनकी सारी बातें सच साबित हो रही हैं और केंद्र सरकार को बार-बार यू-टर्न लेना पड़ रहा है. जीएसटी यूपीए सरकार ने लागू किया था, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे जिस तरह से खराब तरीके से लागू किया, उससे साबित होता है कि केंद्र सरकार कुछ भी ठीक से नहीं कर रही है. बिहार में एसआईआर लाकर वोटों को रोकने की कोशिश की जा रही है, हम इसे कामयाब नहीं होने देंगे.

विधायक सरयू राय ने SIR के विरोध को बेईमानी और बेतुका बताया

जदयू विधायक सरयू राय ने कहा कि एसआईआर का विरोध बेईमानी और बेतुका है क्योंकि चुनाव आयोग के पास पर्याप्त अधिकार हैं. उन्होंने कहा कि भारत सरकार चुनाव आयोग को इस अधिकार से वंचित नहीं कर सकती, चाहे वह लोकसभा हो, राज्यसभा हो या विधानसभा. आयोग अच्छा काम कर रहा है.

इंडिया ब्लॉक द्वारा किए जा रहे विरोध पर नाराजगी जताते हुए सरयू राय ने कहा कि चुनाव आयोग की ओर से एक अच्छी पहल की गई है, इसमें राजनीतिक दलों को भी निचले स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को बूथ लेवल एजेंट बनाकर इस पर नजर रखनी चाहिए. चुनाव आयोग ने इसकी व्यवस्था भी की है और उन्हें पहचान पत्र भी दिए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि अगर कोई कमी रह जाती है तो ड्राफ्ट प्रशासन के बाद उसे सुधारने का मौका भी दिया जाता है, इसलिए राजनीतिक दलों को अपने सांगठनिक ढांचे को दुरुस्त करना चाहिए, ऐसे में मतदाता सूची को लेकर चुनाव आयोग के इस प्रयास में सभी राजनीतिक दलों को सहयोग करना चाहिए.

झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होने से पहले गुरुवार को एटीआई में सत्ताधारी दलों की बैठक हुई. जिसमें सत्र के दौरान की रणनीति बनाई गई. बैठक में झामुमो, कांग्रेस और राजद के विधायक शामिल हुए. सीएम हेमंत सोरेन की मौजूदगी में यह बैठक करीब डेढ़ घंटे चली.

बैठक के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत गठबंधन के सभी नेता एसआईआर का कड़ा विरोध करते दिखे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि गठबंधन के सभी दल एसआईआर का विरोध करेंगे. ओबीसी आरक्षण और सरना धर्म कोड के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस पर कुंडली मारे बैठी है.

कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि सदन के अंदर और बाहर एसआईआर का विरोध किया जाएगा. 4 अगस्त को सभी सत्ताधारी दल इसके खिलाफ विरोध में कार्यक्रम भी आयोजित करेंगे.

कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने एसआईआर के विरोध के साथ-साथ लगातार बारिश से हुए नुकसान पर सरकार का पक्ष साझा किया. उन्होंने कहा कि लगातार बारिश से हुए जान-माल के नुकसान और फसल क्षति से जुड़े मुद्दों पर अलग से चर्चा की जाएगी. इसमें मुआवजा राहत को लेकर फैसला लिया जाएगा.

गौरतलब हो कि पांच दिनों के विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज आज से हो रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही इसे लेकर रणनीति तैयार कर चुके हैं. इससे सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं.