मदन साहु
सिसई (गुमला): प्रखण्ड क्षेत्र के ग्राम पोटरो के रहने वाले 85 वर्षीय पलटू साहू व 80 वर्षीय रूबईन देवी का 48 वर्षीय पुत्र राजू साहू सन् 1989 में पांचवीं कक्षा में फेल हो जाने के बाद तेरह वर्ष की आयु में गांव वालों के साथ बाहर कमाने निकल गया। उसके बाद से घरवालों से कोई सम्पर्क नहीं रहा। क्योंकि सम्पर्क करने का कोई सुविधा नहीं था। राजू साहू ने बताया कि जिनके साथ कमाने के लिए गया था उनसे भी बिछड़ गए और अरुणाचल प्रदेश से 120 कि. मि. की दूरी पर रोइन जो चीन के बॉर्डर से लगता है वहां पर हुलि 17 में एक पुरानी होंडा कम्पनी में दैनिक मजदुर के रूप में काम करने लगे। उन्होंने कम्पनी की मालिक का नाम काजी मगर बताया। वहां पर उसे कम्पनी वालों ने बंधुआ मजदूर बनाकर रखा था। केवल रहने और खाने के लिए कुछ पैसा दे देते थे। पगार मांगने पर टालमटोल करते थे। इस वजह से वे अपने गांव भी नहीं लौट सकते थे। जिससे परिवार वाले उसे लापता समझने लगे। राह देखते राजू साहु के माता पिता के आंखें पथरा गई थी। हाल के कुछ दिनों में गांव के ही लोगों से राजू की मुलाकात हुई।

बातचीत के दौरान एक दूसरे से परिचय होने पर गांव वालों ने ही उनके परिजनों को फोन पर राजू साहू के मिल जाने की खबर दिए और उसकी बात परिजनों से कराया। तो उसने घरवालों से कहा कि मैं यहां पर फंसा हुआ हूं मेरे पास पैसे भी नहीं हैं, कम्पनी के मालिक पैसे भी नहीं दे रहा है। फिर उसके भतीजा कुन्दन साहू अपने भाई और दोस्तों के साथ राजू साहू को घर लाने के लिए अरुणाचल प्रदेश गए। और सोमवार को राजू साहू को उनके भतीजों ने रेल मार्ग से तीन दिन व तीन रात की यात्रा तय कर सकुशल घर वापस लेकर आए। उनके सकुशल घर पहुंचने पर परिजनों और ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर दौड़ पड़ी। इतने वर्षों के बाद उनसे मिलकर परिवार वालों के आंखों में खुशी के आंसू छलकने लगे। उसके बूढ़े माता पिता ने अपने पुत्र को सीने से लगाकर बिलखने लगे और ईश्वर को धन्यवाद करने लगे कि उनका वर्षों का खोया हुआ बेटा उन्हें सही सलामत मिल गया। ग्रामीण भी उन्हें देखकर भावविभोर हो गए और ईश्वर को धन्यवाद किए। परिजनों एवं ग्रामीणों ने पारंपरिक रूप से पैर धोकर एवं माला व अंगवस्त्र पहनाकर उनका स्वागत किया।
