सिसई: पहली बारिश में ही कच्ची सड़कें कीचड़ में तब्दील, ग्रामीणों की बढ़ी मुसीबत

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गुमला: जिला के अंर्तगत सिसई प्रखंड कार्यालय से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम सकरौली है जहां आज भी विकास के नाम पर कोई काम नहीं हुआ है। ग्रामीण आज भी कच्ची सड़क, पानी की समस्या और खुले में शौच करने को मजबूर हैं।


सच्चाई जानकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। वृद्ध महिलाओं, पुरुष और छात्र-छात्राओं को हो रही परेशानी और उनके कहने पर गांव की सच्चाई को दिखाने के लिए यह खबर बनाई गई है। आईए अब जानते हैं गांव के बारे में।

सिसई प्रखंड अंतर्गत भदौली पंचायत के सकरौली गांव जो प्रखंड कार्यालय से मात्र चार किलोमीटर की दूरी पर है, पंचायत का सबसे बड़ा राजस्व ग्राम होने के बावजूद भी गांव में अब तक किसी के घर में शौचालय नहीं बना है। गांव के सभी चापाकल के पाइप सड़ गए हैं और चापाकल भी खराब हैं।  जिससे ग्रामीणों को पीने का पानी के लिए दिक्कत हो रही है।

वहीं कच्ची सड़कें होने के कारण सालो भर सड़क पर कीचड़ रहता है। नाली नहीं होने से घर के आस-पास जल जमाव हो जाता हैं। सड़क पर कीचड़ रहने से स्कूली छात्र-छात्राएं खाली पैर ही स्कूल जाते हैं जिससे उनका ड्रेस भी गंदा हो जाता है।

शौचालय के नहीं रहने से महिला और पुरुष घर के आस पास वाली बांस के झाड़ी में शौच करने पर विवश हैं। वहीं रात्रि में विषैली जीव जंतु का खतरा भी बना रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत चुनाव के समय प्रत्याशियों ने गांव में बड़ा बड़ा पोस्टर लगाकर व पंपलेट बाटकर शौचालय, पक्की सड़कें, बिजली, पानी, रोजगार, पेंशन, आवास देने का वादा किया था। परंतु चुनाव जीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि ग्रामीणों का हाल समाचार जानने और गांव के विकास के लिए बैठक करने नहीं आते हैं।

यदि गांव में ग्राम सभा का बैठक कर गांव के विकास के लिए योजना का चयन करने के बाद भी पंचायत से गांव में योजना नहीं दिया जाता है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि पंचायत मुखिया को लिखित आवेदन देकर पानी, सड़क, नाली की समस्या से अवगत कराया जाता है। फिर भी मुखिया फंड नहीं है, यह कह कर टालमटोल करती है। जिससे ग्रामीणों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

गांव के प्रत्येक घर में बुजुर्ग महिला पुरुष है और लगभग सभी बीमार रहते हैं। गांव में उप स्वास्थ्य केंद्र आयुष्मान आरोग्य मंदिर है। जो केवल सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक खुला रहता है और केंद्र में सभी प्रकार की दवाइयां के नहीं रहने से पीड़ितों को सिसई, गुमला या रांची लेकर जाना पड़ता है।

सड़क के खराब होने से ममता वाहन, एम्बुलेंस गाड़ी भी समय से जगह तक नहीं पहुंचती है। गांव में रोजगार के नहीं रहने से अत्यधिक पुरुष मजदूरी करने के लिए बाहर पलायन करते हैं। बुजुर्गों की सेवा करने और अपने बच्चों को पढाने के लिए महिलाएं घर में रहती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से चापाकल के पाइप बदलने, प्रत्येक घर में शौचालय और पक्की सड़क और नाली बनवाने की गुहार लगाई है।

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