ख़बर को शेयर करें।

सिसई (गुमला): सिसई मेन रोड, संगीता ऑटोमोबाइल के पास तेज गति से आ रही के केटीएम 250 सी सी बाइक (जे एच 01 ई जेड – 1807) सवार ने दो बाइक – हीरो स्प्लेंडर (जे एच 07 ई -7465) और टीवीएस (मोपेड जे एच 07 एफ- 8686) को टक्कर मारी, जिससे तीन लोग घायल हो गए। दो लोग हीरो स्प्लेंडर पर सवार थे। दोनों ही सड़क पर गिरकर घायल हो गए। गुमला हरवा टोली निवासी स्व सुका उराँव के 21 वर्षीय पुत्र सतीश उराँव जो वर्तमान में डाडहा सामटोली अपने नानी के घर में रहता है, उसके पैर में चोट लगी है। दूसरा डाडहा निवासी बंधनु उराँव के 22 वर्षीय पुत्र राजेश उराँव जिसके हाथ में चोट लगी है। दोनों रिश्ते में मामा- भांजा हैं। तीसरा केटीएम बाइक पर सवार सिसई महुआडीपा निवासी रामजन साहू के 14 वर्षीय पुत्र बजरंग साहू घायल हुआ है। जिसके चेहरे और पैरों में चोट लगी है। तीनों घायलों को सिसई रेफरल अस्पताल ले जाया गया। जहाँ पर उनका ईलाज चल रहा है। दुर्घटना में टीवीएस सवार कुदरा निवासी 58 वर्षीय शिवनारायण सिंह बाल- बाल बचा गया। बताया गया कि केटीएम बाइक पर सवार दोनों लड़के नाबालिग हैं और तेज गति से बाइक चला रहे थे। जिसमें बाइक चालक 16 वर्षीय समीर साहू, पिता – राजपति साहू ब्लॉक मैदान सिसई निवासी है। उसके साथ बैठा 14 वर्षीय बजरंग साहू, पिता- रामजन साहू,सिसई निवासी है।  


आए दिन कम उम्र के बच्चे रोड में महंगे बाइक चलाने या दिखावा करने के चक्कर में कई ऐसे बड़े दुर्घटना कर बैठते हैं। जिससे अपने और राहगीरो की जान चली जाती है।

सड़क पर दुर्घटना होने के प्रमुख कारण:

1) तेज गति से वाहन चलाना।                                

2) वाहन चलाते समय हेलमेट ना पहनना।               

3) नाबालिग बच्चों के द्वारा वाहन चालन करना। जो शारीरिक और मानसिक रूप से अविकसित होते हैं। व्यस्त सड़कों पर भी दिखाने के चक्कर में तेज गति से एवं आड़े तीरछे तरीके से कटिंग मार के बाइक चलाते हैं। जो जरा सा चूक होने पर नियंत्रण खो बैठते हैं। खुद को संभाल नहीं सकते वो 200 सी सी और 250 सी सी वाली बाइकों कैसे संभालेंगे।

आखिर इसका जिम्मेवार कौन है? वो नाबालिग बच्चे या उनके अभिभावक? हमारा संविधान भी 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को बाइक चलाने का अधिकार नहीं देता है। उसके बावजूद माता-पिता अपने बच्चों के मोहपाश में उनकी जिद में आकर भारी भरकम बाइक खरीदकर दे देते हैं। माता पिता ये नहीं जानते हैं कि वे अपने बच्चों को बाइक नहीं बल्कि मौत का सामान खरीद कर दे रहे हैं। व्यस्त सड़कों पर तेज गति से बाइक चलाने वालों की ही वजह से आये दिन दुर्घटनायें होती रहती हैं।

सिसई के जीता पतरा से लेकर सिसई चौक, बसिया रोड तक सड़कें व्यस्त रहती है। उसके बावजूद नाबालिग लड़के तेज गति से बाइक चलाते हुए देखे जाते हैं। खासकर जब शाम के समय स्कूलों की छुट्टी होती है। प्रशासन भी इनपर अंकुश नहीं लगा पा रही है ,जो कि प्रशासन की लापरवाही को दर्शाता है। समय समय पर प्रशासन की ओर से वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है, लेकिन केवल वाहन के कागजात, ड्राइविंग लाइसेंस और हेलमेट की जांच करते हुए चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। जबकि प्रशासन को चाहिए कि प्रतिदिन वाहन जांच किया जाए।

समाज सेवियों का कहना है कि नाबालिग बच्चों को वाहन चलाते हुए पकड़े जाने पर उनको दण्ड स्वरूप दो दिनों के लिए हवालात में बंद कर देना चाहिए। साथ ही साथ उनके अभिभावकों को भी दो दिनों तक हवालात में बंद करना चाहिए और थाना में ही बच्चों और अभिभावकों की काउंसलिंग करना चाहिए और फिर बॉण्ड लिखाते हुए चेतावनी देकर छोड़ना चाहिए। तभी इनपर अंकुश लगाया जा सकता है एवं बढ़ते हुए सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है। ये समाज सेवीयों का निजी विचार है प्रशासन चाहे तो इन बिंदुओं पर गौर कर सकता है।