नई दिल्ली/लेह: केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की संस्था SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) का एफसीआरए (Foreign Contribution Regulation Act) पंजीकरण रद्द कर दिया है। यह कदम हाल ही में लेह में हुई हिंसा और उसके बाद शुरू हुई गृह मंत्रालय की जांच के बाद उठाया गया।
जांच में सामने आई गड़बड़ियां
गृह मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में संस्था पर कई अनियमितताओं और एफसीआरए कानून के उल्लंघन का आरोप लगा है। आरोपों के मुताबिक— SECMOL ने 3.35 लाख रुपये को विदेशी दान दिखाया, जबकि बाद में इसे पुरानी बस बेचने से प्राप्त रकम बताया। यह धन न तो एफसीआरए खाते में दर्ज हुआ और न ही सही खुलासा किया गया।
वर्ष 2020-21 में 54,600 रुपये स्थानीय फंड गलती से एफसीआरए खाते में जमा कर दिए गए। संस्था का कहना है कि यह भारतीय वॉलंटियर्स से भोजन और रहने के खर्च के लिए लिया गया था।
एक विदेशी संस्था से मिले 4.93 लाख रुपये कोविड-19 लॉकडाउन के कारण वापस कर दिए गए, जबकि मंत्रालय का कहना है कि एफसीआरए कानून में विदेशी फंड लौटाने का प्रावधान ही नहीं है।
इसी अवधि में 79,200 रुपये को वेतन और स्टाइपेंड से सीधे काटकर “फूड फीस” दिखाया गया, जिसे मंत्रालय ने पारदर्शिता के खिलाफ माना।
गृह मंत्रालय ने साफ किया कि संस्था ने बार-बार एफसीआरए की धारा 8(1)(a), 17, 18 और 19 का उल्लंघन किया है।
अब नहीं मिलेगा विदेशी चंदा
लाइसेंस रद्द होने के बाद अब SECMOL को विदेश से चंदा या सहायता नहीं मिल सकेगी। संस्था अपने प्रोजेक्ट्स और गतिविधियों के लिए सिर्फ स्थानीय फंड या भारतीय स्रोतों पर ही निर्भर रहेगी।
लद्दाख में बढ़ता आंदोलन
गौरतलब है कि पिछले दिनों लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर आंदोलन तेज हो गया था। सोनम वांगचुक 10 सितंबर से भूख हड़ताल पर बैठे थे। उनके समर्थन में छात्रों ने प्रदर्शन किया, जो हिंसक हो गया। इस झड़प में 4 लोगों की मौत हुई और 70 से अधिक घायल हो गए। हिंसा के बाद वांगचुक ने अपना अनशन तोड़ दिया।
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