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मदन साहु

सिसई: टीबी जैसे संक्रामक रोग की रोकथाम और समय पर पहचान के उद्देश्य से रेफरल अस्पताल सिसई के सभागार में सी वाई टीबी टेस्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण सिसई प्रखंड के सभी सी एच ओ एवं सभी ए एन एम को दिया गया, जिससे वे प्रखंड स्तर पर टीबी के संभावित मामलों की शीघ्र जांच और रिपोर्टिंग सुनिश्चित कर सकें।

प्रशिक्षण का विधिवत उद्घाटन सिसई रेफरल अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ललिता कुमारी मिंज के द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा की सी वाई टीबी टेस्ट टीबी की शुरुआती पहचान के लिए एक सटीक और आधुनिक जांच प्रणाली है, जिसके माध्यम से हम जिला एवं प्रखंड स्तर पर संक्रमण के संभावित स्रोतों की पहचान कर पाएंगे। यह टेस्ट असुरक्षित समूहों में टीबी नियंत्रण के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होगा।

कार्यक्रम में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अनुभवी एसटीएलएस गुमला के राजेश उराँव, एसटीएलएस भरनो के एहसान अहमदम, एसटीएस सिसई के शिवनारायण सिंह एवं प्रशिक्षण प्राप्त सीएचो शिवनाथपुर अलका रानी तिग्गा, जमगई सीएचो लीलावती कुमारी, टीम द्वारा उपस्थित स्वास्थ्यकर्मियों को तकनीकी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर अलका रानी तिग्गा ने सी वाई टीबी टेस्ट की प्रक्रिया, सैंपल संग्रहण, जांच के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां, संक्रमण से बचाव तथा रिपोर्टिंग प्रणाली पर विस्तृत जानकारी साझा की। उन्होंने इस टेस्ट को लेकर समुदाय में जागरूकता फैलाने और सही तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

अलका रानी तिग्गा ने वैक्सीन और टेस्ट किट के सुरक्षित भंडारण एवं परिवहन के मानकों पर भी विशेष चर्चा की, ताकि स्वास्थ्य केंद्रों तक संसाधनों की गुणवत्ता बनी रहे और जांच सटीक हो सके।

प्रशिक्षण के दौरान यह जानकारी भी दी गई कि सी वाई टीबी टेस्ट की किट राज्य स्तर से जिला को प्राप्त हो चुकी है, और सभी प्रखंडों में इसका आवंटन कर दिया गया है। प्रशिक्षण प्राप्त सीएचओ और एएनएम अब अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर एएनएम स्तर पर पुनः प्रशिक्षण देंगे, ताकि मई माह के अंत तक पूरे सिसई प्रखंड में टीबी स्क्रीनिंग का कार्य प्रारंभ किया जा सके।

कार्यक्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ललिता कुमारी मिंज के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के कई अन्य महत्त्वपूर्ण हस्तियों की भी उपस्थिति रही। सभी प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को उपयोगी और व्यवहारिक बताया।

यह पहल जिले में टीबी उन्मूलन मिशन को नई गति देने में मील का पत्थर साबित होगी, जिससे असुरक्षित एवं पिछड़े क्षेत्रों में टीबी जैसी बीमारी की जड़ तक पहुंचना संभव हो सकेगा।