सुकमा: नक्सल के खिलाफ चल रहे हैं अभियान के दौरान सुरक्षा बलों को लगातार सफलता मिल रही है नक्सलियों का मनोबल टूट रहा है। खबर आ रही है कि छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित सुकमा जिले में जवानों शुक्रवार को सुकमा पुलिस लाइन में 33 लाख रुपये के इनामी 10 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने सरेंडर कर दिया। नक्सली विचारधारा से परेशान होकर उन्होंने सरेंडर का फैसला किया है। सरेंडर करने वालों में 6 महिला और 4 पुरुष नक्सली शामिल हैं। उनके खिलाफ अलग-अलग थानों में मामला दर्ज हैं।
सुकमा जिले के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि पुलिस की ‘पूना मारगेम’ (पुनर्वास से पुनर्जीवन) पहल के तहत आज कुल 10 माओवादियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें छह महिलाएं शामिल हैं। सरेंडर करने वाले नक्सलियों पर कुल 33 लाख रुपये का इनाम घोषित है।
हथियार भी सौंप दिए
पुलिस अधीक्षक चव्हाण ने बताया कि इन आत्मसर्पण करने वाले नक्सलियों ने एक एके-47, दो एसएलआर राइफल, एक स्टेन गन, एक बीजीएल लांचर भी सौंपा। हथियारों को जमा करने पर कुल आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था।
प्लाटून कमांडर भी शामिल
उन्होंने बताया कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों में से कंपनी प्लाटून कमांडर मिड़यम भीमा भी शामिल है। भीमा के सिर पर आठ लाख रुपये का इनाम घोषित था। वहीं चार अन्य नक्सली गंगा कुंजाम, लेकाम रामा, ताती सोनी और शांति सोड़ी पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। नक्सली माडवी नवीन, माडवी रुकनी, ओयम मांगली, पोडियम मांगी और माडवी गंगी पर एक-एक लाख रुपये का इनाम है।
क्या कहा आईजी ने
बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा, ‘‘सुकमा में 10 माओवादी कैडरों का पुनर्वास यह दर्शाता है कि हिंसक और जनविरोधी माओवादी विचारधारा का अंत अब निकट है। लोग ‘पूना मारगेम’ पहल पर भरोसा जताते हुए शांति, गरिमा और स्थायी प्रगति का मार्ग चुन रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन, भारत सरकार, बस्तर पुलिस, स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा बल क्षेत्र में शांति स्थापित करने, पुनर्वास सुनिश्चित करने और समावेशी विकास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले 11 महीनों में बस्तर रेंज में 1514 से अधिक नक्सलियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा से जुड़ने का निर्णय लिया है। शेष माओवादी कैडर जिनमें पोलितब्यूरो सदस्य देवजी, दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी सदस्य पाप्पा राव, देवा (बारसे देवा) तथा अन्य शामिल हैं, के पास हिंसा त्याग कर मुख्यधारा में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।’’












