रांची: झारखंड विधानसभा में शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन तीखी नोकझोंक और वॉकआउट के बीच 7,721.25 करोड़ रुपए का द्वितीय अनुपूरक बजट ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सदन में भाजपा विधायक नवीन जायसवाल ने कटौती प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन सरकार की ओर से जवाब शुरू होते ही भाजपा विधायक वॉकआउट कर गए।
विपक्ष का हमला
चर्चा में हेमलाल मुर्मू, बाबूलाल मरांडी, सुरेश बैठा, अरुप चटर्जी, सुरेश पासवान, राजेश कच्छप, सरयू राय, निर्मल कुमार महतो, जयराम महतो, समीर कुमार मोहंती, और सीपी सिंह सहित कई नेताओं ने भाग लिया। भाजपा सदस्यों ने सरकार पर बदहाल वित्तीय प्रबंधन का आरोप लगाया और इसे पूरी तरह फ्लॉप बताया। कटौती प्रस्ताव लाने वाले नवीन जायसवाल ने सरकार को उसके वचन याद दिलाते हुए कहा कि राज्य की आर्थिक स्थिति चिंताजनक है।
संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए विस्तृत वित्तीय आंकड़े प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा, 6,554.61 करोड़ रुपए स्कीम हेड में हैं, जिससे कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। 966.64 करोड़ स्थापना मद में है, जो वित्तीय बोझ तो है, लेकिन यह मामूली राशि है, चिंता की बात नहीं है। राज्य के आय स्रोत बढ़े हैं और आवश्यकता पड़ने पर स्थापना मद के लिए संसाधन जुटा लिए जाएंगे। 30 नवंबर तक राज्य के अपने टैक्स, नॉन-टैक्स और केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के रूप में 61,056.12 करोड़ खजाने में उपलब्ध रहे। इस दौरान 98.8% राशि खर्च की गई, जो अच्छे वित्तीय प्रबंधन का संकेत है।
केंद्र से बकाया पर सरकार का आरोप
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्रीय करों में झारखंड की निर्धारित हिस्सेदारी 47,040 करोड़ है, जबकि अब तक केवल 30,971 करोड़ मिले हैं, लगभग 16,000 करोड़ बकाया है। केंद्र से अनुदान के रूप में 17,057 करोड़ मिलने थे, परंतु सिर्फ 4,261.70 करोड़ ही प्राप्त हुए। इस तरह कुल 28,863.64 करोड़ रुपए 30 नवंबर तक राज्य को नहीं मिले।
वित्त मंत्री ने कहा, केंद्र से पैसा नहीं आएगा तो योजनाएं कैसे चलेंगी। उज्ज्वला के 65 लाख लाभुकों पर एक साल में 2,100 करोड़ रुपये खर्च होंगे। हम देने को तैयार हैं, लेकिन केंद्र को अपना बकाया देना होगा।
उन्होंने आगे कहा, जल जीवन मिशन में राज्य अपना 6,300 करोड़ हिस्सा देने को तैयार था, लेकिन केंद्र ने सहयोग नहीं किया। छात्रवृत्ति मद में 890 करोड़ और वृद्धावस्था पेंशन मद में 132 करोड़ केंद्र ने नहीं दिए। झारखंड को दबाया और कुचला जा रहा है।
सरकार का दावा: कोई विभाग पैसों की कमी से नहीं जूझ रहा
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि, राज्य का एफआरबीएम घाटा 2.2% है, जो तय सीमा 3% से कम है। राज्य अपने आंतरिक संसाधनों को बढ़ा रहा है। विकास कार्यों के लिए 16,800 करोड़ का ऋण लिया जाएगा। मंईयां सम्मान योजना के लिए 13,500 करोड़ का प्रावधान है। विभिन्न सामान्य योजनाओं के लिए 78,000 करोड़ उपलब्ध हैं। उन्होंने दावा किया कि राज्य में किसी भी योजना या विभाग को पैसे की कमी का सामना नहीं करना पड़ रहा है।
झारखंड विधानसभा में 7721.25 करोड़ का अनुपूरक बजट पारित, वित्त मंत्री बोले- सरकार के खजाने में पैसे की नहीं है कमी













