रांची में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से मचा हड़कंप, 5 साल की बच्ची में मिले लक्षण

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रांची: रांची में जीबीएस (गुइलेन-बैरे सिंड्रोम) का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है। रांची की पांच साल की एक बच्ची में इस वायरस के लक्षण मिले हैं। बच्ची को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। बीते एक हफ्ते से संदिग्ध बच्ची का इलाज रांची के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। सिविल सर्जन डॉ प्रभात ने बताया कि स्टूल कलेक्ट कराया गया है, जिसकी जांच के लिए सैंपल को पुणे भेजा जाएगा।

जानकारी के अनुसार करीब आठ दिन पहले एक दंपत्ति इस बच्ची को लेकर आए थे। तब बच्ची की हालत बेहद गंभीर थी। वह मूव नहीं कर पा रही थी। सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। लेकिन बच्ची को आईवीआईजी और मिथाइल प्रेडनीसोलोन दवा देकर वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। फिलहाल बच्ची की हालत स्टेबल है। अब वह आंखें खोल रही है। पहले से बच्ची की हालत ठीक है, लेकिन रिकवर नहीं कर पा रही है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस)

जीबीएस एक दुर्लभ संक्रमण है, जिसमें शरीर के हिस्से अचानक सुन्न पड़ जाते हैं और मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है। इसके साथ ही इस बीमारी में हाथ पैरों में गंभीर कमजोरी जैसे लक्षण भी होते हैं। चिकित्सकों ने बताया कि आम तौर पर जीवाणु और वायरल संक्रमण GBS का कारण बनते हैं, क्योंकि वे रोगियों की डिफेंस सिस्टम को कमजोर करते हैं। यह बच्चों और युवाओं दोनों आयु वर्ग को हो सकता है। हालांकि, जीबीएस महामारी या वैश्विक महामारी का कारण नहीं बनेगा। अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं, लेकिन इसमें छह महीने से लेकर दो साल या उससे अधिक समय लग सकता है।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण

• शरीर के दोनों तरफ मांसपेशियों की कमजोरी और पक्षाघात
• झटकेदार, असमन्वित गतिविधियाँ
• सुन्न होना
• मांसपेशियों में दर्द, पीड़ा या ऐंठन
• त्वचा के नीचे कंपन, भिनभिनाहट या ‘रेंगने’ जैसी अनुभूतियां
• धुंधली दृष्टि
• चक्कर आना

• साँस लेने में समस्याएँ

लक्षण आमतौर पर पैरों या टांगों से शुरू होते हैं और शरीर के ऊपर की ओर बढ़ते हैं। कभी-कभी, लक्षण बाहों से शुरू होते हैं और नीचे की ओर बढ़ते हैं। लक्षणों को बढ़ने में कुछ दिन या सप्ताह लग सकते हैं।

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के लक्षण हल्के से लेकर जानलेवा तक हो सकते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सी नसें क्षतिग्रस्त हैं और किस हद तक। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र की नसें प्रभावित हो सकती हैं, जिससे रक्तचाप, हृदय गति, दृष्टि, गुर्दे की कार्यप्रणाली और शरीर के तापमान में परिवर्तन हो सकता है। गिलियन-बैरे सिंड्रोम की संभावित घातक जटिलताओं में निमोनिया, डीप वेन थ्रोम्बोसिस और श्वसन विफलता शामिल हैं।

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