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राष्ट्रपति के खिलाफ तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने छेड़ी जंग,गैर भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को पत्र, समर्थन मांगा

On: May 19, 2025 3:43 AM
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चेन्नई :तमिलनाडु सीएम एम के स्टालिन ने गैर भाजपा शासित प्रदेशों के आठ मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखते हुए राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधानसभाओं में पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय करने के शीर्ष न्यायालय के समक्ष उठाए गए सवालों के खिलाफ कानूनी लड़ाई में उनके समर्थन की मांग की है।न्यायालय के समक्ष एक समन्वित कानूनी रणनीति विकसित करने और संविधान के मूल ढांचे को संरक्षित तथा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट मोर्चा बनाने का आह्वान भी किया।

स्टालिन ने पत्र में उनसे संघवाद और राज्य की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए इसका कड़ा विरोध करने और आगामी कानूनी लड़ाई में एकजुट होने का आग्रह किया है।

बता दें कि कि तमिलनाडु विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी को लेकर राज्यपाल आर एन रवि के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने राज्यपालों द्वारा भेजे गये विधेयकों पर मंजूरी देने को लेकर राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी थी।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सलाह पर गत 13 मई को संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के सलाहकार क्षेत्राधिकार का आह्वान किया है और न्यायालय के समक्ष 14 प्रश्न उठाए हैं। हालांकि संदर्भ में किसी राज्य या निर्णय का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इसका उद्देश्य तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए कानून और संविधान की व्याख्या पर सवाल उठाना है।

स्टालिन ने कहा कि भाजपा सरकार ने संदर्भ मांगने के लिए दबाव डाला है, जो उनके भयावह इरादे की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण मोड़ पर मैंने सभी राज्य सरकारों और क्षेत्रीय दलों के नेताओं से जो भाजपा के विरोधी हैं और हमारे संघीय ढांचे तथा राज्य की स्वायत्तता को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, आगामी कानूनी लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया था।’

उन्होंने कहा, “मैं अब आपको व्यक्तिगत रूप से यह अनुरोध करने के लिए लिख रहा हूं कि आप राष्ट्रपति द्वारा शीर्ष न्यायालय के समक्ष मांगे गए इस संदर्भ का विरोध करें। हमें न्यायालय के समक्ष एक समन्वित कानूनी रणनीति विकसित करनी चाहिए और संविधान के मूल ढांचे को संरक्षित तथा सुरक्षित रखने के लिए एक संयुक्त मोर्चा पेश करना चाहिए, जैसा कि हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बरकरार रखा है। मैं इस महत्वपूर्ण मुद्दे में आपके तत्काल और व्यक्तिगत हस्तक्षेप की आशा करता हूं।”

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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