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बैंकाॅक/ नोम पेन्ह: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लगातार दूसरे दिन भी गोलीबारी जारी है। शुक्रवार सुबह दोनों देशों के सैनिकों ने बॉर्डर पर फायरिंग की है। थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इन झड़पों में 15 लोग मारे गए, जिनमें 14 आम नागरिक और एक सैनिक शामिल हैं, जबकि 46 लोग घायल हुए हैं। कंबोडिया ने अभी तक अपने नुकसान की जानकारी नहीं दी है। इस जंग की शुरुआत बुधवार को एक बारूदी सुरंग के धमाके से हुई, जिसमें थाइलैंड के पांच सैनिक घायल हो गए। इसके जवाब में थाईलैंड ने कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए और बॉर्डर पर F-16 लड़ाकू विमान तैनात कर दिया था। दोनों देशों ने एक दूसरे पर पहले हमला करने का आरोप लगाया है। थाईलैंड ने संघर्ष के बीच एक लाख लोगों को बॉर्डर इलाके से हटाया है।

कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मैनेट की पहल पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दोनों देशों के बीच जंग पर चर्चा के लिए आज यानी शुक्रवार को एक आपातकालीन बैठक आयोजित करेगी।

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हिंदू मंदिर को लेकर विवाद मुख्य रूप से “प्रेह विहेयर मंदिर” (Preah Vihear Temple) को लेकर है। यह एक प्राचीन शिव मंदिर है, जो कि 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और खमेर वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। यह मंदिर सीमा पर एक पहाड़ी (डांगरेक पर्वतमाला) पर स्थित है, और यहीं से विवाद की जड़ शुरू होती है। मंदिर भौगोलिक रूप से थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है। मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार थाईलैंड की ओर है, लेकिन वह कंबोडिया की भौगोलिक सीमा में आता है। कंबोडिया यही दावा करता है। फ्रांसीसी उपनिवेश काल में 1907 में कंबोडिया के लिए जो नक्शा तैयार किया गया था, उसमें मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा बताया गया था। हालांकि थाईलैंड इस नक्शे को मान्यता नहीं देता और कहता है कि यह गलत था। इसके बाद हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 1962 में फैसला दिया कि यह मंदिर कंबोडिया का है। थाईलैंड ने इस फैसले को माना, लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा। यूनेस्को ने 2008 में इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित कर दिया। थाईलैंड ने इसका विरोध किया। उसका कहना था कि यह कंबोडिया के दावे को मजबूत करता है और आसपास की विवादित जमीन पर प्रभाव डालता है। इसके बाद 2008 से 2011 के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार थाईलैंड और कंबोडिया की सेनाओं के बीच गोलीबारी और झड़पें हुईं। 2011 की झड़पों में कई सैनिक मारे गए और हजारों ग्रामीणों को सीमा से हटाना पड़ा।