वॉशिंगटन: अमेरिका में लाखों लोग शनिवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने “No Kings” (नो किंग्स) अभियान के तहत राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ट्रंप देश को सत्तावादी और केंद्रीकृत शासन की ओर धकेल रहे हैं।
यह प्रदर्शन डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से आयोजित किया गया था और यह जून में हुए पहले ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ के बाद दूसरा बड़ा विरोध है। इस बार पिछले प्रदर्शन की तुलना में भीड़ कहीं अधिक थी। इस प्रदर्शन में देश के अलग-अलग शहरों में 2600 से ज्यादा रैलियां निकाली गईं। इन रैलियों में करीब 70 लाख लोगों ने हिस्सा लिया।
कमला हैरिस ने की भागीदारी की अपील
पूर्व उपराष्ट्रपति और ट्रंप से चुनाव हार चुकी कमला हैरिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर लोगों से शांति पूर्ण विरोध में शामिल होने की अपील की। उन्होंने लिखा, “मैं आपको अपने पड़ोसियों के साथ ‘नो किंग्स’ कार्यक्रम में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करती हूं। हमारे देश में सत्ता जनता के पास है।”
‘No Kings’ आंदोलन का उद्देश्य अमेरिका की स्थापना से जुड़ी उस ऐतिहासिक भावना को दोहराना है, जब देश ने ब्रिटिश राजशाही और निरंकुशता के खिलाफ विद्रोह कर लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाया था।
ट्रंप बोले- “मैं राजा नहीं हूं”
विरोधों पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने फॉक्स बिजनेस टीवी से बातचीत में कहा, “वे मुझे राजा कह रहे हैं। मैं राजा नहीं हूं।”
ट्रंप ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि वे सिर्फ कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं।
सरकारी गतिरोध के बीच बढ़ा असंतोष
ये विरोध ऐसे समय में हो रहे हैं जब सीनेट में डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स के बीच गहरा गतिरोध बना हुआ है। इससे संघीय सरकार का अधिकांश हिस्सा बंद (शटडाउन) हो गया है और वित्त पोषण पर कोई सहमति नहीं बन पाई है।
डेमोक्रेट्स स्वास्थ्य बीमा और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में कटौती के खिलाफ हैं, जबकि ट्रंप का कहना है कि इन योजनाओं से राजकोष पर 1.5 ट्रिलियन डॉलर का बोझ बढ़ेगा।
संघीय बलों की तैनाती बनी विरोध का कारण
विरोध प्रदर्शनों की मुख्य वजह ट्रंप द्वारा डेमोक्रेट-शासित राज्यों में संघीय बल भेजना और अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई है। कई राज्यों में सरकार ने आरोप लगाया कि ट्रंप संघीय नियंत्रण वाली एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।
ट्रंप ने कुछ शहरों में कहा कि यदि स्थानीय प्रशासन कानून-व्यवस्था नहीं संभाल पाया तो वे “केंद्र से हस्तक्षेप” करेंगे, जबकि अमेरिकी संविधान में राष्ट्रपति शासन का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
टाइम्स स्क्वायर से लॉस एंजिल्स तक उमड़ा जनसैलाब
न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में हजारों प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर कब्जा कर लिया। लॉस एंजिल्स में हुए प्रदर्शनों के दौरान संघीय आव्रजन अधिकारियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
अब तक देशभर में 2,500 से अधिक बड़े और छोटे विरोध कार्यक्रमों की योजना बनाई जा चुकी है, जिनमें वॉशिंगटन डी.सी. समेत सभी प्रमुख शहर शामिल है।
प्रमुख संगठनों का समर्थन
इन विरोध प्रदर्शनों को अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन (ACLU), ह्यूमन राइट्स कैंपेन और शिक्षक संघों जैसे कई संगठनों का समर्थन मिला है। आयोजकों ने कहा कि यह आंदोलन लोकतंत्र की रक्षा और संविधान की भावना को जीवित रखने के लिए जारी रहेगा।
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन, 70 लाख प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे












