ख़बर को शेयर करें।

मदन साहु

सिसई (गुमला): सिसई प्रखण्ड अंतर्गत रंजीत नारायण सिंह सरस्वती विद्या मंंदिर कुदरा में भारत रत्न दो महान विभूति पं. मदन मोहन मालवीय व अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती बड़े ही सम्मान के साथ मनाया गया। प्रधानाचार्य देवेंद्र वर्मा जी ने सभी शिक्षकों, बाल एवं कन्या भारती के मंत्रियों के साथ दीप प्रज्जवलित और पुष्पार्चन के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किये। कार्यक्रम का संचालन कक्षा अष्टम के भैया गौरव ने संभाला और अपने मधुर वक्तव्यों से तथा कविताओं से सारे भैया बहनों को बांधे रखा। विद्यालय के अधिकतर भैया बहनों ने इसमें उत्साहपूर्वक भाग लिया।

बहन शिवानी , बहन सोनी , बहन कात्यायनी आदि बच्चों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किए । इस अवसर पर आचार्य मृत्यंजय कुमार मिश्र ने पं. मदनमोहन मालवीय जी के दुरूह दुष्कर कार्यों से बच्चों को अवगत कराते हुए कहा कि “परहित के कारणे मोहे न आवत लाज ” के अपने मूलमंत्र पर इस संघर्षशील व्यक्ति ने किस तरह और क्यों बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की । दिवस प्रमुख कौशल्या कुमारी ने अटल बिहारी वाजपेयी के दृढ़ इच्छाशक्ति से बच्चों को अवगत कराते हुए बतायी कि कितने अवरोधों के बाद भी उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में स्थापित किया । इसके बाद बहन सृष्टि , बहन कुमकुम , बहन दिव्या , बहन असरिता ,आदि बहनों ने अटल जी और पंडित जी के जीवनी पर बारी बारी से प्रकाश डाला । उनकी कविता ‘ हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा ‘ बच्चों के कंठ से गूंजायमान हो रहे थे।

धन्यवाद ज्ञापन देते हुए प्रधानाचार्य  देवेन्द्र वर्मा ने कहा कि एक साथ दो दो महान विभूतियों की जयंती मनाना सच में एक गौरवशाली क्षण हैं ।  महामना ने भिक्षाटन करके जिस तरह से एक विशाल एवं उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थान की स्थापना की यह प्रेरणादाई है । अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी अटल इच्छा शक्ति के बल पर जिस तरह से विश्व के ताकतवर देशों के प्रतिबंधों का सामना करते हुए भारत के सम्मान को अक्षुण्ण बनाए रखा। हमारे लिए गौरवशाली बात है।

वाजपेयी जी की के शब्दों :- “प्रबल विरोधों के सागर में हम सुदृढ़ चट्टान बनेंगे। हमसे आकर जो टकराएंगे अपनी अपनी मौत मरेंगे” को दोहराते हुए धन्यवाद के साथ कार्यक्रम समाप्ति की घोषणा की गई।

कार्यक्रम में आचार्य ममता कुमारी, सरिता मुखर्जी, नाथू भगत, कमल सिंह, जितेंद्र कुमार साहू इत्यादि। का सहयोग सराहणीय रहा।

अंत में शान्ति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।