धनतेरस से आज होगी दीप पर्व की शुरुआत, 6 दिन चलेगा दीप पर्व, 15 नवंबर तक हर्षोल्लाह से मनाया जाएगा

On: November 10, 2023 3:03 AM

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झारखंड वार्ता
दीपपर्व 2023:- सुख-समृद्धि और वैभव के पर्व की शुरुआत धनतेरस के साथ देवी महालक्ष्मी के प्रिय दिन शुक्रवार 10 नवंबर से होगी। पहले दिन महामुहूर्त पर रोशन बाजार में धन बरसेगा और हर ओर दीपोत्सव का उजास छाएगा। इस अवसर पर प्रदोषकाल में सुख-समृद्धि की कामना से धन लक्ष्मी और कुबेर पूजन के साथ अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए दीपदान किया जाएगा। इससे पहले दिनभर आरोग्य की कामना से आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि का प्राकट्य दिवस मनाया जाएगा। इस खास अवसर के लिए महालक्ष्मी मंदिर में आकर्षक साज-सज्जा के साथ उत्सव की शुरुआत भी होगी। मत-मतांतर के साथ दीप पर्व इस बार पांच नहीं, छह दिन 10 नवंबर से 15 नवंबर बुधवार तक हर्षोल्लास से मनाया जाएगा।
धनतेरस:- अमृत कलस लेकर प्रकट हुए थे भगवान धन्वंतरि
धनतेरस पर 10 नवंबर को भगवान धन्वंतरि के साथ ही धनलक्ष्मी और कुबेर का पूजन किया जाएगा। ज्योतिर्विद विनायक तिवारी के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 10 नवंबर शुक्रवार को दोपहर 12.36 बजे से होगी। मान्यता के अनुसार इस दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसी कारण आयुर्वेद को समर्पित संस्थाओं और धन्वंतरि मंदिरों में पूजन किया जाएगा। इस दिन बर्तनों की खरीदारी का भी विशेष महत्व है।
रूप चतुर्दशी:- अभ्यंग स्नान से निखरेगा सौंदर्य
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर रूप चतुर्दशी हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। इस दिन रूप-सौंदर्य की कामना से सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान किया जाएगा। इस पर्व को रूप चौदस, छोटी दीवाली और नरक निवारण चतुर्दशी सहित विभिन्न नामों से जाना जाता है। चतुर्दशी तिथि इस वर्ष 11 नवंबर शनिवार दोपहर 1.58 बजे से 12 नवंबर रविवार को दोपहर 2:45 बजे तक रहेगी। इस कारण पर्व का दीप दान 11 नवंबर और अभ्यंग स्नान 12 नवंबर को अलग-अलग दिन रहेगा। इस दिन सूर्योदय से पहले अभ्यंग स्नान से रोग-शोक और ताप दूर को सौंदर्य और निरोगी काया की प्राप्ति होती है।
दीपावली:- महालक्ष्मी से होगी सुख समृद्धि और वैभव की कामना
पंच पर्व का सबसे मुख्य दिन कार्तिक अमावस्या पर सभी प्रकार के वैभव प्रदान करने वाली देवी महालक्ष्मी का पूजन 12 नवंबर को होगा। इस बार अमावस्या तिथि 12 नवंबर को दोपहर 2.46 बजे से प्रारंभ होगी। इस दिन शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी पूजन होगा। घर-आंगन को रंगोली बनाकर दीपों से सजाया जाएगा। लोग नवीन परिधान में सज-धजकर एक-दूसरे को पर्व की बधाई देंगे। इसके साथ ही जमकर आतिशबाजी भी होगी।
गोवर्धन पूजन:- पर्व के बीच सोमवती अमावस्या का संयोग, गोबर से बनाएंगे गोवर्धन
इस वर्ष गोवर्धन पूजन महालक्ष्मी पूजन के अगले दिन नहीं होते हुए 14 नवंबर को किया जाएगा। ज्योतिर्विद आचार्य शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इसके पीछे कारण अमावस्या तिथि का 13 नवंबर को दोपहर 2.57 बजे तक होना है। वहीं, गोवर्धन पूजा और राजा बलि की पूजा कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की उदया तिथि में की जाती है। इस दिन गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजन की परंपरा है। इसके साथ ही मठ-मंदिर और आश्रमों में अन्नकूट महोत्सव के आयोजन होंगे। हालांकि, इस वर्ष मत-मतांतर के साथ 13 व 14 नवंबर दोनों दिन प्राचीन मंदिर में अन्नकूट होंगे।
भाई-दूज:- बहनें करेंगी भाई का तिलक
कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भाई-बहन के स्नेह का पर्व भाई दूज मनाया जाता है। द्वितीया तिथि 14 नवंबर को 2.58 से अगले दिन 2.20 बजे तक रहेगी। इस दिन बहन रोली और अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देते हैं। पौराणिक कथा कहती है कि इस दिन यमुनाजी ने अपने भाई यम देवता को घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया था।