डुमरी (गुमला): बाबा टांगीनाथ धाम में विकास समिति एवं ग्रामीणों के सहयोग से सोमवार को टांगीनाथ धाम के अमूल्य धरोहर अक्षय त्रिशूल के खंडित अवशेष की धाम वापसी कराई गई। इस अवसर पर सैंकड़ों शिव भक्तों के काफिले ने त्रिशूल के अवशेष को विधि विधान के साथ अपने धाम में वापसी कराई। जिसमें श्री श्री 108 कृष्ण चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज, स्वामी करपात्री सेवा आश्रम, मशमानों लोहरदगा के नेतृत्व में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ बाबा टांगीनाथ धाम समिति के लोगों, बैगा पहान और स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा उक्त स्थल में मंदिर निर्माण हेतु भूमि पूजन किया गया।

जिसके पश्चात सभी ने मिलकर अक्षय त्रिशूल के अवशेष की पूजा अर्चना की एवं भव्य जुलूस के रूप में पूरे विधि विधान से त्रिशुल के अवशेष को बाबा टांगीनाथ धाम लाया गया। इस संबंध में समिति के उपाध्यक्ष संजय प्रसाद साहू ने बताया की कई दशकों पूर्व टांगीनाथ धाम स्थल में खुले जगह में स्थित अक्षय त्रिशूल के एक खंडित भाग को किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा छत्तीसगढ़ के सन्ना तहसील अंतर्गत डकईपाठ के भट्ठा गांव में एक बेल पेड़ के नीचे रख दिया गया था। लगभग एक वर्ष पूर्व इसकी सूचना बाबा टांगीनाथ धाम विकास समिति को मिली थी। इसके बाद समिति के द्वारा छत्तीसगढ़ स्थित भट्ठा ग्राम के लोगों से बैठक कर इस विषय में चर्चा की गई एवं त्रिशुल के खंडित अवशेष को उनके मूल स्थान में स्थापित करने की सहमति बनाई गई।
वहीं त्रिशूल के खंडित भाग को भट्ठा गांव से टांगीनाथ ले जाने के एवज में छत्तीसगढ़ के भट्ठा गांव के उक्त स्थल में भट्ठा ग्राम के ग्रामीणों एवं बाबा टांगीनाथ धाम विकास समिति सहयोग से एक मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। वहीं बाबा टांगीनाथ धाम के मुख्य पुजारी राम कृपाल बैगा ने बताया कि वापसी के पश्चात भव्य अनुष्ठान के साथ त्रिशुल के अवशेष को बाबा टांगीनाथ धाम में पुनः स्थापित किया जाएगा। उन्होंने इस महानुष्ठान में सभी ग्रामीणों से भाग लेने और समिति द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों में तन मन व धन से सहयोग करने की अपील की है।

मौके पर प्रधान पुजारी रामकृपाल बैगा, राहुल बैगा, घुरन बैगा, धिरजा बैगा, गोविंद साय, वीरेंद्र जयसवाल, ब्रजेंद्र पांडेय, राजेश केशरी, नितेश गुप्ता (प्रिंस), नीतीश केशरी, जवाहर कवर, शत्रुधन सिंह, प्रदीप प्रसाद, दिलीप बड़ाइक, शकलदीप सिंह, जगनारायण सिंह, अरविंद सिंह सहित सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।
