राजधानी रांची की रहने वाली है प्रमिला जयसवाल, पति की मृत्यु के बाद बहु के कहने पर बेटे ने मां को गढ़वा वृद्धाश्रम छोड़ा
शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– न मेरे पास पैसा है, ना बंगला है और न बैंक बैलेंस, मेरे पास मेरी मां है। ये लाइन वैसे एक फिल्म की है, जिसमें एक्टर द्वारा इन लाइनों के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि अगर आपके पास आपकी मां है तो दुनिया में सब कुछ है। मगर आज की भागती दौड़ती जिंदगी में ये लाइन सिर्फ फिल्म की एक कहानी बनकर रह गई है। वास्तविकता कुछ और है। ऐसे तो लोग बेटे के चक्कर में बेटियों की कोख में ही हत्या कर देते हैं, उनकी सोच होती है कि बेटा बुढ़ापे का सहारा है और बेटियां पराया धन का बोझ। लेकिन कई बार हालात कुछ अलग ही दिखते हैं। आज आपको उसे बेटे की मां की कहानी से अवगत कराऊंगा। जिनके बारे में जानकर कर आपकी आंखों से आंसू आ जाएगी।

एक कहानी उस मां की…
एक कहानी उस मां की है जो करोड़ों की मालकिन है। सुखी संपन्न दो बेटे हैं, लेकिन घर में जगह नहीं है, जिन बेटों को पैदा किया उन्होंने ही घर से बाहर निकाल दिया। यह पूरा मामला राजधानी रांची के रातु शहर की रहने वाली बुजुर्ग मां प्रमिला जायसवाल अब वृद्धा आश्रम में रहने को मजबूर है। रांची से लगभग 260 किलोमीटर की दूरी पर झारखंड की अंतिम छोर पर स्थित श्री बंशीधर नगर शहर के धमनी स्थित वृद्धा आश्रम में अपना जीवन बसर करने को मजबूर है।
दोनों बेटों के लिए बहुत सही दुख,लेकिन बुढ़ापे में नहीं मिली कोई सुख,वृद्धाश्रम में कट रहा जीवन
इस आश्रम में कई ऐसे बुजुर्ग मां-बाप हैं। जो बेटे बहू से तंग आकर यहां रह रही है। इन सभी ने अपनी औलाद की यातनाएं सुनाते वक्त फूट-फूट कर रोने लगे।वही जब पत्रकारों ने प्रमिला जायसवाल से बात किया तो वह रो रो कर अपने कहानी को बताने लगी। प्रमिला बताती है कि वह दो बच्चों की मां है। 2 वर्ष पहले उनके पति की मृत्यु हो गई थी। उनका बड़ा बेटा ठेकेदार है व छोटा बेटा नौकरी करता है। रांची में आलीशान मकान है। दोनों बेटे आर्थिक रूप से बेहद संपन्न है। दोनों बेटे की शादी के बाद घर में परिवार के सदस्य बढ़ गए। लेकिन अफसोस की इन दोनों करोड़पति बेटों के दिल में मां के लिए कोई जगह नहीं है,आज वृद्धाश्रम में अपना जीवन व्यक्तित्व कर रही है।
