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उत्तरप्रदेश: प्रयागराज में चोरी की वारदात का अनूठा और चौंकाने मामला सामने आया है। यहां चोरी की वारदात के 8 दिन बाद चोर को अपनी गलती का एहसास हुआ। एक मंदिर से मूर्ति चुराने वाला चोर मंगलवार (1 अक्टूबर) को खुद ही उन्हें लौटा गया। मूर्ति के साथ चोर एक माफीनामा भी छोड़ कर गया है। इसमें उसने मंदिर में चोरी के बाद अपने साथ लगातार अनिष्ट होने की बात कही है। अष्टधातु की बेशकीमती राधा-कृष्ण की मूर्ति चोरी के आठ दिन बाद वापस मिलने को लेकर इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

शहर से करीब 45 किलोमीटर दूर श्रृंगवेरपुर धाम के गऊ घाट आश्रम से राधा-कृष्ण की अष्टधातु की सैकड़ों साल पुरानी मूर्ति 24 सितंबर को मंदिर का ताला तोड़कर चोरी कर ली गई थी। मंदिर के पुजारी फलाहारी महंत स्वामी जयराम दास महाराज ने एफआईआर दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने दो संदिग्धों को भी हिरासत में लिया था लेकिन मूर्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी। इस बीच मूर्ति चोरी से दुखी महंत जयराम दास ने अन्न का त्याग कर दिया। आश्रम के अन्य शिष्य भी दुखी रहने लगे। इस बीच मंगलवार को सुबह करीब 11:30 बजे हरिया कोखराज के सर्विस लेन पर आश्रम के सामने किसी व्यक्ति ने मूर्ति देखी। उसने आश्रम के महंत को इस बात की जानकारी दी।

मूर्ति के साथ मिला माफीनामा

मूर्ति के साथ चोर एक माफीनामा भी महंत को सम्बोधित करते हुए छोड़ कर गया, जिसमें उसने अपनी पहचान उजागर नहीं की है। इस माफीनामे में उसने अपने काम को अज्ञानता बताते हुए लिखा है, “मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं।” मेरे बेटे की तबीयत भी बहुत खराब हो गई है। थोड़े पैसे के लिए मैंने बहुत गंदा काम किया है। मैंने मूर्ति को बेचने के लिए उसके साथ काफी छेड़छाड़ किया है। अपनी गलती की माफी माँगते हुए मैं मूर्ति को रख कर जा रहा हूँ। आपसे विनती करता हूँ कि मेरी गलती को माफ कर भगवान को फिर से मंदिर में रखवा दिया जाए। हमारे बच्चों को क्षमा करते हुए अपनी मूर्ति स्वीकार करें।”

मामले की सूचना पुलिस को भी दे दी गई है। पुलिस इस मामले में कानूनी कार्रवाई कर रही है। हालांकि पुलिस इस मामले में अभी कोई भी बयान देने से बच रही है।

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