दिनेश बनर्जी
सिल्ली: सिल्ली प्रखंड के पतराहातू स्थित श्रीलक्ष्मी विष्णुपाद मंदिर में 21 दिनों तक रखे कलश को सैकड़ो
कुंवारी कन्याओं द्वारा श्री रमाशंकर शुक्ला पुरोहित के पूर्ण विधि-विधान एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के पश्चात कलशों को माथे में लेकर राढु नदी के पवित्र नदी में विसर्जन किया गया। तत्पश्चात मंदिर में आकर पूजा-पाठ एवं महाप्रसाद का वितरण किया गया, जिसमें हजारो लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर ग्रामीण महिलाओं खासकर शिवचर्चा महिला मंडली द्वारा भगवान का कीर्तन भजन, एवं उनके नामों की महिमा की चर्चा की गई। ज्ञात हो कि पिछले 24 जनवरी को श्रीलक्ष्मी विष्णुपद मंदिर के स्थापना दिवस के अवसर पर राढु नदी से पवित्र जल कलश में लेकर कतारबद्ध होकर श्रीलक्ष्मी नारायण-नारायण-नारायण श्रीलक्ष्मी नारायण-नारायण-नारायण महामंत्र का उद्घोष करते हुए श्री लक्ष्मी विष्णुपद मंदिर में प्रतिष्ठापित किया गया था।
इस मौके पर सनातन मांझी, हलधर महतो, कृष्ण कुमार प्रमाणिक, अनिल महतो, भूपेन्द्र भगत, महावीर महतो, चितरंजन महतो, प्रदीप मांझी, चंपा देवी, दिगम्बर, त्रिलोचन महतो, गुणाधर प्रजापति, आदि लोगों का कार्यक्रम में महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
ज्ञात है कि सुरम्य प्रकृति की गोद में पर्वत श्रृखंलाओं से परिवेष्टित रांची जिला के पूर्वी क्षेत्र में सिल्ली.बुण्डू पथ के पतराहातु में पुन्य सलिला रादू नदी के पावन तट पर श्रीलक्ष्मी विष्णुपद मंदिर अवस्थित है। इस मंदिर में युगल चरण चिन्ह हैं। सुप्रसिद्ध विश्व विख्यात विष्णुपद मंदिर गया तीर्थ के मुख्य पुजारी श्री सुखदेव मिश्रा ने पतराहातु श्रीलक्ष्मी विष्णुपद मंदिर के अनुष्ठान के क्रम में कहा कि ये युगल चरण चिन्ह एक भगवान विष्णु एवं दूसरा माता लक्ष्मी के हैं। गया तीर्थ के पाँच पंडितों द्वारा इस मंदिर का नामकरण श्रीलक्ष्मी विष्णुपद मंदिर रखा गया है। इस मंदिर के गर्भगृह में अवस्थित श्रीलक्ष्मी एवं श्रीविष्णु के चरणरज को पाकर भक्त अपने आप को भाग्यशाली मानते हैं