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शादी की तस्वीरों में खुश दिख रही थी पीड़िता, कोर्ट ने अपहरण और रेप के आरोपी को दे दी जमानत

On: December 10, 2025 3:43 PM
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चंडीगढ़: चंडीगढ की एक जिला अदालत ने एक बहुचर्चित मामले में बड़ा फैसला देते हुए उस युवक को सभी गंभीर आरोपों से बरी कर दिया, जिस पर पड़ोस में रहने वाली एक किशोरी को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और बार-बार रेप करने का आरोप था। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष लड़की की नाबालिग उम्र को प्रमाणित करने में विफल रहा और उपलब्ध मेडिकल तथा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर यह मानने का कोई कारण नहीं है कि वह घटना के समय 18 वर्ष से कम थी।

पिता की शिकायत पर दर्ज हुआ था मामला

14 मई 2023 को पीड़िता के पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दी थी कि 12 मई को उसकी 15 वर्षीय बेटी अचानक घर से गायब हो गई। आरोप था कि पास में रहने वाला युवक उसे शादी का झांसा देकर भगा ले गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 363, 376(2)(n) और पॉक्सो एक्ट की धारा 4 व 6 के तहत केस दर्ज कर चालान पेश किया।

उम्र साबित करने में अभियोजन असफल

मामले की सुनवाई के दौरान युवती की मेडिकल जांच में हड्डी की आयु 15–16 वर्ष और दंत आयु 14–16 वर्ष बताई गई थी। अदालत ने कहा कि मेडिकल उम्र-निर्धारण में सामान्यतः दो वर्ष की त्रुटि-सीमा लागू की जाती है। इसी आधार पर कोर्ट ने माना कि मेडिकल जांच के समय युवती की उम्र 18 वर्ष से अधिक भी हो सकती है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि अभियोजन पक्ष कोई भी ठोस दस्तावेज जैसे स्कूल रिकॉर्ड या जन्म प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पाया, जिससे यह सिद्ध हो सके कि घटना के समय युवती वास्तव में नाबालिग थी।

विवाह और रिसेप्शन की तस्वीरों ने कोर्ट का ध्यान खींचा

जज ने अपने निर्णय में शादी और रिसेप्शन की तस्वीरों का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें युवती काफी खुश दिखाई देती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि लड़की का घर आरोपी के घर से केवल 5–6 मकान छोड़कर था, जिससे यह संभावना मजबूत होती है कि यदि वह अपनी इच्छा के विरुद्ध वहां गई होती तो आसानी से वापस नहीं लौट सकती थी।

सहज रूप से सहमति के संकेत

फैसले में अदालत ने कहा कि यदि आरोपी ने युवती के साथ जबरन यौन संबंध बनाए होते तो वह प्रतिरोध कर सकती थी या शोर मचा सकती थी, पर ऐसा कोई संकेत नहीं मिला। इस आधार पर कोर्ट ने माना कि यदि दोनों के बीच कोई संबंध बने भी हों तो वह आपसी सहमति से थे।

बयानों में विरोधाभास से कहानी पर संदेह

कोर्ट के अनुसार युवती और उसके पिता के बयान विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे से मेल नहीं खाते, जिससे अभियोजन का पूरा घटनाक्रम संदिग्ध प्रतीत होता है। अदालत ने यह संभावना भी जताई कि युवती स्वयं आरोपी के साथ गई और बाद में मामला प्रलोभन देकर ले जाने के रूप में पेश किया गया।

अदालत ने कहा कि जब तक अभियोजन यह साबित न कर दे कि पीड़िता नाबालिग थी, तब तक सहमति-आधारित संबंधों पर पॉक्सो की धाराएं लागू नहीं हो सकतीं। इसी आधार पर कोर्ट ने फैसला देते हुए आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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