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संसद परिसर में स्थापित किए जाएंगे पुरी रथ यात्रा में इस्तेमाल रथों के पहिए, लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी

On: August 30, 2025 7:19 PM
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नई दिल्ली: पुरी रथ यात्रा के तीन पहिए अब संसद परिसर में स्थायी रूप से स्थापित होंगे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने शनिवार को इसकी पुष्टि की। मंदिर समिति ने बताया कि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला हाल ही में पुरी दौरे पर गए थे, जहां उन्हें यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। स्पीकर ने इसे स्वीकार कर लिया।

तीनों पहिए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र के रथों से लिए जाएंगे। विशेष जानकारी के अनुसार, भगवान जगन्नाथ के रथ का पहिया नंदीघोष, देवी सुभद्रा के रथ का दर्पदलन और भगवान बलभद्र के रथ का पहिया तालध्वज कहलाता है।

संसद में रथ यात्रा के ये पहिए ओडिशा की समृद्ध संस्कृति और विरासत के स्थायी प्रतीक के रूप में स्थापित किए जाएंगे। इससे पहले दो साल पहले लोकसभा में सेंगोल स्थापित किया गया था। मई 2023 में संसद में स्पीकर की कुर्सी के बगल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेंगोल को स्थापित किया था।

सेंगोल या राजदंड का ऐतिहासिक महत्व भी है। यह अंग्रेजों की ओर से 14 अगस्त 1947 की रात पं. जवाहरलाल नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। 1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया था। 75 साल बाद यह प्रतीक संसद परिसर में पुनः स्थापित किया गया।

संसद परिसर में रथ यात्रा के किन पहियों को लगाया जाएगा, फिलहाल इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। इस साल पुरी में रथ यात्रा 27 जून को निकाली गई थी। रथ यात्रा के बाद, तीनों रथों को हर साल अलग कर दिया जाता है। नंदीघोष रथ के मुख्य बढ़ई बिजय महापात्र के अनुसार, रथ के कुछ प्रमुख हिस्सों को छोड़कर, हर साल रथ निर्माण में नई लकड़ी का उपयोग किया जाता है।

रथ के अलग किए गए पुर्जे गोदाम में सुरक्षित रखे जाते हैं और उनमें से कुछ पुर्जे, जिनमें पहिए भी शामिल हैं, नीलाम कर दिए जाते हैं। प्रत्येक वर्ष 45 फीट ऊँचे तीनों रथों को 200 से ज्यादा लोग सिर्फ 58 दिनों में तैयार करते हैं।

ये रथ 5 विशेष प्रकार की लकड़ियों से हाथों से बनाए जाते हैं। निर्माण के दौरान लकड़ी को मापने के लिए किसी स्केल का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि एक साधारण छड़ी से ही 45 फीट ऊंचे और 200 टन से अधिक वजनी रथ तैयार किए जाते हैं।

संसद परिसर में इन पहियों के स्थापित होने के साथ ही यह स्थान ओडिशा की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और जगन्नाथ संस्कृति का एक नया प्रतीक बन जाएगा।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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