मजदूरों के हड़ताल का कोल्हान में भी प्रभावशाली असर,ट्रेड यूनियन एवं स्वतंत्र फेडरेशन के संयुक्त मंच का दावा

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निर्णायक परिणाम तक संघर्ष जारी रखने का ऐलान

जमशेदपुर:केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम संहिताओं को लागू करने के बेताब पहल के खिलाफ आज 9 जुलाई को श्रमिकों की राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का कोल्हान में भी प्रभावशाली असर देखा गया। कोल्हान में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों , बीमा तथा अन्य राज्य और केंद्रीय सरकारी संगठनों के साथ-साथ कई निजी क्षेत्र में कामकाज पूरी तरह ठप हो गए थे।

सितंबर 2020 में संसद में अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किए गए चार श्रम संहिताओं को देश के मजदूर वर्ग के कड़े संघर्षों के कारण अब तक लागू नहीं किया जा सका था, लेकिन कॉरपोरेट दबाव में केंद्र सरकार इन्हें लागू करने पर आमादा है। इसे देखते हुए ट्रेड यूनियनों के राष्ट्रीय संयुक्त मंच ने मजदूरों के राष्ट्रीय सम्मेलन में 18 मार्च 2025 को आम हड़ताल की घोषणा की थी। तब से 17 सूत्री लंबित मांगों और राज्य स्तरीय विशिष्ट मांगों को लेकर सघन प्रचार-प्रसार और जनसंपर्क कार्यक्रम चलाए गए थे, जिनमें मुख्य मांग मजदूरों के अधिकार और सुरक्षा छीनने वाली चार श्रम संहिताओं (श्रम संहिताओं) को वापस लेने की है।

ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की ओर से बताया गया , जबकि मौजूदा 29 श्रम कानून 1920 के दशक से मजदूर वर्ग के संघर्षों और बलिदानों के कारण प्राप्त हुए थे, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कॉरपोरेट्स की मांग पर मौजूदा श्रम कानून निरस्त करते हुए , चार श्रम संहिताओं के माध्यम से इस देश के मजदूर वर्ग की आजीविका और अधिकारों को हाशिए पर डालने के लिए उन्हें निरस्त करने की कोशिश की जा रही है।

इन चारों श्रम संहिताओं के लागू हो जाने पर, नियोक्ताओं को मिलने वाली छूटों के साथ-साथ बदली हुई परिभाषाओं और प्रावधानों के कारण, अधिकांश श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी, बोनस, काम के घंटे, ओवरटाइम, अवकाश, कार्यस्थल पर मिलने वाली सुरक्षा और सुविधाओं, बोनस, भविष्य निधि, ग्रेच्युटी से वंचित होना पड़ेगा। इसके साथ ही, स्थायी नौकरी की प्रकृति में फिक्स्ड टर्म ,केजुलाइजेशन और ठेका कार्य की अनुमति के साथ-साथ क्षेत्र और कार्य-पद्धति विशेष कानूनी सुरक्षाओं के समाप्त होने से औद्योगिक और रोजगार संबंधों में प्रतिकूल परिवर्तन आएगा। इसके अलावा, संगठित होने यानी यूनियन बनाने, सामूहिक सौदेबाजी, लोकतांत्रिक विरोध के अधिकारों को न केवल हाशिए पर डाल दिया जाएगा, बल्कि जनवादी गतिविधियों के लिए दंड का प्रावधान भी श्रम संहिताओं में रखा गया है। श्रम विभागों की निर्णयात्मक भूमिका लगभग सीमित होकर केवल नियामक प्राधिकरण बनकर रह जाएगी। विधायी और न्यायिक की भूमिका भी न्यूनतम हो जाएगी और राज्य स्तरीय प्रशासन के पास भविष्य में कॉर्पोरेट निर्देशों के अनुसार परिवर्तन लाने के लिए अधिक गुंजाइश होगी।

चार श्रम संहिताओं को रद्द करने की मांगों के साथ-साथ इस हड़ताल की कुल 17 सूत्रीय मांगें थीं, जिनमें प्रमुख मांगें हैं – निजीकरण रोकना, रोजगार सुनिश्चित करना, मूल्य वृद्धि पर रोक लगाना, करों और शुल्कों का बोझ हटाना, किसानों के लिए एमएसपी, असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कानूनी और सामाजिक सुरक्षा, स्थायी नौकरियों का अस्थायीकरण रोकना, समान काम के लिए समान वेतन और सभी के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता तक मुफ्त पहुंच आदि।

आज हड़ताली कर्मचारियों द्वारा विभिन्न कार्यस्थलों पर प्रदर्शन के अलावा, साकची आमबगान से जिला उपायुक्त कार्यालय तक एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों, स्वतंत्र महासंघों और छात्रों, युवाओं, महिलाओं के जन संगठनों के लगभग 1000 कार्यकर्ता शामिल हुए।

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले बोड़ाम बहरागोड़ा, पटमदा, पोटका और घाटशिला में भी एकजुटता प्रदर्शन आयोजित किए गए।

जमशेदपुर की आज की केंद्रीय रैली में इंटक के श्री राकेश्वर पांडे, विजय खान, विनोद राय, श्री संजीव श्रीवास्तव, परविंदर सिंह सोहल, मनोज सिंह, एटक के अंबुज ठाकुर, हीरा अर्काने, आर एस राय, धनंजय शुक्ला, एस एन सिंह, सीटू के विश्वजीत देव, गुप्तेश्वर सिंह, संजय कुमार, एफएमआरएआई के पीआर गुप्ता, केडी प्रताप, सुब्रत विश्वास, एआईयूटीयूसी के लिली दास, सुमित रॉय, विष्णु गिरी, जेकेएमयू के गौतम बोस एआईडीएसओ के समर महतो, रिंकी और एआईएसएफ के मुकेश रजक आदि के नेतृत्व में हजारों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

स्वतंत्र फेडरेशन, एसोसिएशन एवं यूनियन की ओर से

परबिंदर सिंह सोहल(INTUC) – अम्बुज ठाकुर (AITUC) – विश्वजीत देव(CITU) ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उक्त बातें कही है।

Kumar Trikal

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