सत्य के समान दुसरा कोई तप नही है और मर्यादा संस्कृति के अनुसार जीवन जीना चाहिए: जीयर स्वामी

On: July 27, 2023 6:17 AM

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शुभम जायसवाल
श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):— संस्कृति अलग होता है व्यवहार अलग होता है। व्यवहार सबसे किया जाएगा। लेकिन संस्कृति शास्त्र की आज्ञा अनुसार ही किया जाएगा। इसीलिए बताया गया है कि अपने कुल में गोत्र में शादी विवाह नही कीजिए। अपनी जाति में कीजिए। वैज्ञानिकों का भी कहना है कि यदि अंतरजातिय विवाह होता है शरीर में रहने वाले हार्मोन है,कीटाणु है, उसके अनुसार संतान पर उसका प्रभाव होता है। व्यवहार पुरे दुनिया से करीए। लेकिन शास्त्र के अनुसार समर्पण की भावना रखीए। बैर किसी से नही होना चाहिए। लेकिन मर्यादा संस्कृति के अनुसार जीवन जीने की कोशिश करेंगे। यह बाताया गया है।
परोपकार,दया के समान दुसरा कोई धर्म नही है। और सत्य के समान दुसरा कोई तप नही है। सदाचार के समान दुसरा कोई व्रत नही है। इन तीन बातों के ध्यान रखना चाहिए। सदाचार, सत्य, दया का बड़ा महत्व है।
बेटा बेटी के जन्म के ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण कर देना चाहिए।
शास्त्र का नियम है कि लड़का या लड़की के जन्म लेने के बाद नियम तो यह है कि माता पिता ही नामकरण करें। यदि पुरोहित करेंगे, कोई और रिश्तेदार नामकरण करेंगे तो यह भी ठीक है। ग्यारहवां या बारहवें दिन नामकरण हो जाना चाहिए। कन्याओं का नाम लक्ष्मी संबंधी नाम रखिए और बालकों का नाम भगवान संबंधी रखिए। क्योंकि बेटा, बेटी के पुकारने के बहाने तो भगवान का नाम आ गया न। यह विचार कर भगवान संबंधी नाम रखना चाहिए।
कभी-कभी हमारे जीवन की कुछ ऐसी घटनाएं होती है। जो परिवर्तन, बदलाव, सुधार का भी कारण होता है। कभी-कभी हमारे जीवन की कुछ ऐसी घटनाएं होती है जो बना हुआ जीवन भी बिगड़ने का कारण बनती है। यह शास्त्र में निवेदन किया गया है। यदि एक कुकर्म आ जाता है तो उसके साथ और भी कुकर्म आ ही जाता है। यदि जुआखोरी की बात आ जाएगी तो इसके साथ वेश्यावृत्ति की बात भी हो जाएगी। हिंसा आ जाती है। अनेक प्रकार की विकृतियां हो जाएगी। कभी-कभी घटनाएं हमारे जीवन के कल्याण के कारण होती है। कभी-कभी घटनाएं हमारी जीवन की प्रसस्त मार्ग कारण भी बन जाती है। इसलिए वीर पुरूष, धीर पुरूष को चाहिए कि कहीं भी अश्लील,अमर्यादित, शास्त्र विरूद्ध मार्गों पर पैर न रखे। भले ही हम कितना भी पूजा पाठ करते हैं भटकाव हो सकता है।