यह संसार मेंहदी के पत्ते की तरह ऊपर से हरा दीखता है,पर इसके भीतर परमात्मरूप लाली परिपूर्ण है:- जीयर स्वामी जी महाराज
शुभम जायसवाल
नाशवान्की दासता ही अविनाशीके सम्मुख नहीं होने देती। संसारकी सामग्री संसारके कामकी है, अपने कामकी नहीं।संसार विश्वास करनेयोग्य नहीं है, प्रत्युत सेवा करनेयोग्य है।नाशवान्में अपनापन अशान्ति और बन्धन देनेवाला है।
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