गुमला: जिले के सिसई प्रखंड अंतर्गत घाघरा पंचायत स्थित दारी टोंगरी में परंपरागत बारह पड़हा दारी जतरा का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु और ग्रामीण बड़ी संख्या में जुटे।

जतरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्षेत्र के लोगों को आकर्षित करता है। प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे दारी टोंगरी में स्थित बुढ़ा महादेव, नकटी देवता और पुरखा कंडो के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। श्रद्धालु यहां पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कामना करते हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक जिगा सुसारन होरो ने कहा कि “हमारी परंपरा और संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन बेहद आवश्यक है। प्रकृति, धर्म और संस्कृति आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं।” उन्होंने जतरा में शामिल सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं और गांव तथा समाज के विकास के लिए एकजुट होकर कार्य करने का आह्वान किया।
पूर्व सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि “जतरा मेल-मिलाप और भाईचारे का प्रतीक है। इसमें हमारी सभ्यता और संस्कृति की झलक देखने को मिलती है।”
वहीं धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि “जतरा मेला आदिवासी सभ्यता और संस्कृति की पहचान है। इसका संरक्षण और संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है।”
मौके पर सिसई प्रमुख श्रीमती मीना उरांव, जिप सदस्य सिसई उत्तरी श्रीमती विजयलक्ष्मी कुमारी, समाजसेवी कैप्टन लोहरा उरांव, पड़हा कोटवार गजेंद्र उरांव, पड़हा कोहा बेल जुब्बी उरांव, जतरा समिति सदस्य पुनई उरांव, कमलेश उरांव, सुकरू उरांव उर्फ टाना भगत, मयूरी ट्रस्ट गुमला-झारखंड चैताली कॉलेज गुमला के निदेशक बसंत कुमार गुप्ता, ट्रस्ट सचिव चैताली सेनगुप्ता, रंथु उरांव, प्रभात उरांव, संतोष उरांव, कमलेश मुंडा, कार्तिकेश्वर मिश्रा, तिंबड़ु टाना भगत, इंद्रपाल उरांव और जयमंगल उरांव समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।














