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Strawberry Moon 2025:  11 जून की रात आसमान में खास नजारा दिखेगा। सूर्यास्त के बाद पूनम का चांद पूर्व दिशा में निकलेगा। इसे स्ट्राबेरी मून कहा जाता है। यह नाम पश्चिमी देशों में इस समय पकने वाली जंगली स्ट्राबेरी के कारण दिया गया है। कुछ देशों में इसे हॉट मून, रोज़ मून और मीड मून भी कहा जाता है।

स्ट्रॉबेरी मून का सबसे बढ़िया नजारा देखने के लिए आकाशदर्शियों को रात के समय शहर की रोशनी से दूर किसी खुले स्थान पर जाने की जरूरत होगी। भारत में स्ट्रॉबेरी मून को 11 जून की शाम सूर्यास्त के बाद दक्षिण-पूर्व दिशा में देखा जा सकता है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे शहरों में यह दृश्य रात 7 बजे के बाद दिखाई देगा। चंद्रमा को देखने का यह दुर्लभ मौका एक बार फिर 18 साल बाद ही यानी साल 2043 में मिलेगा, इसलिए 11 जून की रात को आसमान की ओर जरूर नजर उठाएं। ये इस साल का माइक्रो मून भी होने वाला है। पृथ्वी से थोड़ा ज्यादा दूर होने के कारण चांद सामान्य से थोड़ा छोटा और धुंधला भी दिखाई देने वाला है।

Strawberry Moon का रहस्य

यह कोई काल्पनिक नाम नहीं है, बल्कि Strawberry Moon एक साहित्यिक नाम है और इसके साथ किसानों का इतिहास भी जुड़ा है, जो मौसमी समय, कक्षीय यांत्रिकी और सांस्कृतिक परंपरा के एक दुर्लभ मिश्रण को दिखाता है। यह पूर्ण चंद्रमा न सिर्फ वसंत का अंतिम चंद्रमा है, बल्कि वर्ष का सबसे कम समय वाला चंद्रमा भी है। इस पूर्णिमा का महत्व प्रकृति और फसल के प्राचीन मेल से है। प्रकृति प्रेमियों के लिए स्ट्रॉबेरी मून एक खास क्षण होता है, जो देखने में सुंदर भी लगता है और अर्थ भी प्रदान करता है। नेटिव अमेरिका की Algonquian जनजातियों के लोग स्ट्रॉबेरी मून दिखते ही स्ट्रॉबेरी की फसल की कटाई शुरू कर देते थे। पश्चिमी देशों में इस समय पकने वाली जंगली स्‍ट्राॅबेरी के कारण इसका नाम स्‍ट्राॅबेरी मून रखा गया है।

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