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जमशेदपुर:प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी दिनांक 29 जून, 2025 को महान भाषाविद्, हो भाषा की ‘वारांग क्षिति’ लिपि के जनक एवं समाज सुधारक ओत गुरु कोल लाको बोदरा जी की 39वीं पुण्यतिथि के अवसर पर हो समाज भवन, गोलमुरी, जमशेदपुर में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।


कार्यक्रम की शुरुआत लाको बोदरा जी की तस्वीर पर माल्यार्पण और श्रद्धासुमन अर्पित करके की गई। इस अवसर पर समाज के गणमान्य समाजसेवी, युवाओं और महिलाओं की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। वक्ताओं ने लाको बोदरा जी के जीवन, उनके योगदान और हो भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण में उनके प्रयासों को स्मरण करते हुए उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष बिरसिंह बिरुली ने लाको बोदरा जी की जीवनी पर प्रकाश डाला और युवाओं को साहित्य के क्षेत्र में आगे आने का आह्वान किया।


उन्होंने हो भाषा और ‘वारांग चिती’ लिपि के प्रचार-प्रसार को निरंतर जारी रखने का सुझाव दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाषा और लिपि के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए युवाओं को सक्रिय रूप से आगे आना चाहिए, ताकि हमारा साहित्य और सांस्कृतिक विरासत समृद्ध हो सके। लाको बोदरा जी द्वारा विकसित ‘वारांग चिती’ लिपि आज भी आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। सभा में उपस्थित समाज के लोगों ने लाको बोदरा जी की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम में उपस्थित सदस्य:

वीर सिंह बिरुली, रवि सवैया, पूरन हेंब्रम, डेविड सिंह बनरा, राकेश उरांव, शंभू मुखी, नंदलाल पातर, कार्तिक उरांव, विजय बारी, एवं अन्य उपस्थित थे।

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