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दुमका:आदिवासी सेंगेल अभियान के तत्वाधान में सालतोला पंचायत में तिलका मांझी की जयंती पर दी गई श्रद्धांजलि

On: February 11, 2025 3:32 PM
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दुमका:आदिवासी सेंगेल अभियान की ओर से आज रानीश्वर प्रखंड के सालतोला पंचायत अंतर्गत सालतोला गांव में कविता मुर्मू के अध्यक्षता में तिलका मांझी की जयंती मनाई गई।

दुमका जोनल हेड बार्नाड हांसदा ने कहा कि तिलका मुर्मू के पिता का नाम सुंदरा मुर्मू और माता का नाम पानो मुर्मू थे। सुंदरा मुर्मू तिलकपुर गांव के ग्राम प्रधान (आतु मांझी) थे और तिलका मुर्मू के माता पानो मुर्मू गृहणी थी। उनके पिता और माता के नाम से साफ पता चलता है तिलका मांझी संथाल परिवार में जन्मे एक संथाल आदिवासी समुदाय के थे। तिलका मांझी (मुर्मू) का जन्म 11फरवरी 1750 को हुआ है।

बिहार के सुल्तानगंज, भागलपुर क्षेत्र में पहाड़िया जनजाति के लोगों का भी निवास थे, तिलका मांझी संथाल और उन पहाड़िया जनजाति के बीच में रहकर पले बढ़े हैं, इसीलिए ही कुछ गैर आदिवासी इतिहासकारों को लगता है तिलका मांझी पहाड़िया जनजाति के है। संतालों का लिखित इतिहास अधिक नहीं है लेकिन फिर भी संतालों को याद है अपना गुजारा हुआ इतिहास कितना पुराना है। तिलका मांझी संतालों के लिए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने में कभी पीछे नहीं हटे है। संताल एवं आदिवासी समुदाय में इतिहासकारों की कमी होने के कारण दूसरे जाति समुदाय के इतिहासकारों द्वारा इस संथाल समुदाय के इतिहास को तोड़ मरोड़ा जा रहा है इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है, इसलिए ही तिलका मुर्मू (मांझी )को पहाड़िया जनजाति के साथ कुछ इतिहासकारों द्वारा जोड़ा जा रहा है जो गलत जानकारी है। मांझी और मुर्मू सरनेम संतालों का है और तिलका, पानो और सुंदरा नाम भी अभी भी संतालों के बीच मौजूद हैं। तिलका मांझी का असली नाम तिलका मुर्मू है जबरा पहाड़िया नहीं। तिलका मांझी संतालो के बीच काफी लोकप्रिय है और उनका पुजा भी किया जाता है ओर संथालों के अनेकों लोक गीतों में उनका नाम है।

सेंगेल का मांग है झारखंड के सबसे बड़ी ब्रिज दुमका जिला में है जिसके नाम सेल्फी ब्रिज के नाम से जाना जाता है उसका नाम वीर शहीद तिलका मुर्मू ब्रिज नामकरण किया जाए, संताली भाषा को झारखंड में प्रथम राजभाषा अविलंम घोषित किया जाए , सरना धर्म कोड लागू किया जाए .

कार्यक्रम में सिवाली मुर्मू महिला मोर्चा अध्यक्ष , सरस्वती टुडू, मुनी मुर्मू, पुण्यता मुर्मू,मरयम सोरेन, कविता मुर्मू , प्रेमलता मुर्मू आदि मौजूद थे।

Satish Sinha

मैं सतीश सिन्हा, बीते 38 वर्षों से सक्रिय पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ा हूँ। इस दौरान मैंने कई अखबारों और समाचार चैनलों में रिपोर्टर के रूप में कार्य करते हुए न केवल खबरों को पाठकों और दर्शकों तक पहुँचाने का कार्य किया, बल्कि समाज की समस्याओं, आम जनता की आवाज़ और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की वास्तविक तस्वीर को इमानदारी से उजागर करने का प्रयास भी निरंतर करता रहा हूँ। पिछले तकरीबन 6 वर्षों से मैं 'झारखंड वार्ता' से जुड़ा हूँ और क्षेत्रीय से जिले की हर छोटी-बड़ी घटनाओं की सटीक व निष्पक्ष रिपोर्टिंग के माध्यम से पत्रकारिता को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का प्रयास कर रहा हूँ।

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