श्री बंशीधर नगर (गढ़वा) :– श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को सार्थक बनती है। जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है। रामचरितमानस वह श्रीमद् भागवत दोनों के द्वारा प्रभु प्राप्ति का साधन बताया गया है की जीव का कल्याण भगवान की शरणागति होने पर ही होता है। जीव जब तक भगवान के शरण में नहीं जाता तब तक उसे किसी भी प्रकार की शांति नहीं मिलती। यह बाते ग्राम समन्वय समिति मंगरदह के तत्वाधान में आयोजित पांच दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथा वाचक श्रीमद् जगद्गुरु स्वामी श्याम नारायण आचार्य धर्मगुयधर्माचार्य की महाराज ने कथा के दौरान कहीं।
श्याम नारायण महाराज जी ने कहा कि भगवान की कथा जहां भी होती है वहां सिर्फ मनुष्य ही नहीं बल्कि अपितु,पशु पक्षी, जीव जंतु भी कथा का श्रवण कर अपने जीवन को सार्थक करते हैं।
उन्होंने कहा कि जिस नीलगिरी पर्वत पर कागभुसुंडि नाम का पक्षी राम कथा कर रहा हो वही हंस और गरुड़ जैसे पक्षी भी राम कथा का श्रवण करते हैं और भगवान का कथा सुनकर प्रमानंदित होते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान के शरणागति जो जीव होता है उसी को यह सुख प्राप्त होता है। इसलिए जीवो को अपने धर्म पर अधिक विश्वास होनी चाहिए।
श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा से सशक्त हो जाता है।
महाराज जी ने कथा के दौरान हर प्रकार के युगों से श्रद्धालुओं को अवगत कराया। समय-समय पर भगवान को भी अपने भक्त की भक्ति के आगे झुक कर सहायता के लिए आना पड़ता है। मित्रता, सदाचार, गुण, अवगुण, द्वेष सभी प्रकार के भावों को व्यक्त किया है। जब तक हम किसी चीज के महत्व को नहीं जानते तब तक उसके प्रति मन में श्रद्धा नहीं जागती।
कहा कि जब तक भक्तों का मन पवित्र नहीं होगा तब तक भागवत कथा श्रवण का लाभ नहीं मिल सकता है। कथा के दौरान प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ निशीथ नीरव, कंचन तिवारी, मंटू तिवारी, संतोष पांडेय, रिशु सिंह, गुड्डू लाल, सिंधु पांडेय, राजेश पांडेय, राजा पांडेय, दयानंद पांडेय, रमेश महतो, मंटू पांडेय, श्यामानंद पांडेय सहित बड़ी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।