हजारीबाग :- जैनीयों का दशलक्षण पर्यूषण महापर्व का आज चौथा दिन उत्तम शौच धर्म की पूजा दोनों दिगंबर जैन मंदिर में की गई। प्रातः दोनों मंदिरों में श्री जी का अभिषेक शांति धारा पूजन पाठ का कार्यक्रम हुआ।
प्रातः बड़ा बाजार दिगंबर जैन मंदिर में बाहर से आए विद्वान पंडित नयन जी शास्त्री सांगानेर ने उत्तम शौच धर्म पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अपनी आत्मा को पवित्र करना ही उत्तम शौच धर्म है ।
पांच पापों से मुक्ति और मन में संतोष को धारण करना एवं मन को संतुलित करना शौच धर्म कहा गया है। लोभ को त्याग करने पर ही शौच धर्म आ सकता है। पंडित नयन जी भक्तामर स्त्रोत की महिमा का भी वर्णन कर रहे हैं उनके एक-एक श्लोक का वह वर्णन कर भक्तगण को उनके महत्व बता रहे हैं। दिन में बाड़म बाजार दिगंबर जैन मंदिर में पंडित जी का तत्वार्थ सूत्र ग्रंथ का वाचन हुआ। संध्या में भव्य महा आरती णमोकार जाप व पंडित नयन जी शास्त्री का मंगल प्रवचन उत्तम शौच धर्म पर हुआ।सांस्कृतिक कार्यक्रम के द्वारा अध्यात्म की खुशबू बिखरी जा रही है।
भक्तगण बड़े ही उत्साह और उमंग के साथ रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। समाज के कार्यकारिणी सदस्य विजय लुहाडिया ने बताया कि यह आत्म शुद्धि का दस दिवसीय दशलक्षण महापर्व की महिमा अलौकिक है। जैन धर्म की आत्मा है। रत्नों की सागर के समान मूल्यवान है। यह प्रकाश के अवतरण का पर्व है। साधना और संयम की आराधना का पर्व है। पर्यूषण पर्व हमें मर्यादित , संस्कारित , सुव्यवस्थित जीने की प्रेरणा का संदेश देता है।उन्होंने बताया कि कल उत्तम सत्य धर्म की पूजा की जाएगी व रविवार को धूप दशमी पर्व मनाया जाएगा।