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उत्तरप्रदेश: पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और बेटी संघमित्रा भगोड़ा घोषित

On: July 19, 2024 2:52 PM
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उत्तरप्रदेश: पूर्व मंत्री व राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और उनकी बेटी बदायूं से पूर्व बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य सहित अन्य तीन के विरुद्ध, दीपक कुमार स्वर्णकार प्रकरण में लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने फरार घोषित किया। बिना तलाक लिए धोखाधड़ी करके विवाह करने के मामले में दायर केस में लगातार पेशी पर नहीं आने के बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।

संघमित्रा, स्वामी प्रसाद मौर्य समेत पांच पर दीपक कुमार स्वर्णकार ने मारपीट, गाली गलौज, जान-माल की धमकी, साजिश रचने का मामला दर्ज कराया गया था। दीपक के अनुसार संघमित्रा मौर्य से उनकी शादी हुई है, जिसे वो नकार रही है। इसी मामले में लखनऊ की एमपी एमएल कोर्ट में मामला दायर हुआ है। मामले में तीन बार समन, दो बार जमानती वारंट और एक बार गैर जमानती वारंट जारी करने के बाद भी कोर्ट में हाजिर न होने के कारण सभी आरोपियों को भगोड़ा घोषित कर दिया गया।

स्वामी प्रसाद मौर्या और उनकी बेटी इसी मामले को लेकर MP -MLA कोर्ट के खिलाफ हाई कोर्ट भी गए थे लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद स्वामी प्रसाद मौर्य हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। मौर्या को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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कानपुर का “I Love Mohammad” विवाद : पोस्टर से भड़की बड़ी बहस
कानपुर शहर हाल ही में एक पोस्टर विवाद की वजह से सुर्खियों में आ गया। मामला तब शुरू हुआ जब शहर के एक इलाके में बिना अनुमति “I Love Mohammad” लिखे बैनर और पोस्टर लगाए गए। यह पोस्टर कुछ ही समय में चर्चा का विषय बन गए और कई लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर आपत्ति जताई। विरोध बढ़ने पर पुलिस ने बैनर हटवाया और मामले की जांच शुरू की।
प्रशासन का कहना है कि यह विवाद असल में “बिना अनुमति बैनर लगाने” का है, लेकिन इसे धर्म से जोड़कर फैलाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अफवाह या नफरत फैलाने वाले काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
यह विवाद कानपुर तक सीमित नहीं रहा। धीरे-धीरे इसकी आंच उन्नाव, बरेली और यहां तक कि उत्तराखंड तक पहुंच गई। वाराणसी में साधु-संतों ने इसका जवाब “I Love Mahadev” पोस्टर लगाकर दिया। इस तरह मामला एक “पोस्टर वार” में बदल गया, जिससे समाज में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी।
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि को रोकने की अपील की। वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने भी कहा कि धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए और ऐसे विवादों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि छोटे-छोटे मुद्दे भी अगर सही समय पर नियंत्रित न किए जाएं तो वे बड़े विवाद का रूप ले सकते हैं। समाज को चाहिए कि आपसी भाईचारे और सद्भाव को बनाए रखते हुए ऐसे मामलों से दूरी बनाए।

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