गढ़वा: जिले के रंका पूर्वी वन क्षेत्र अंतर्गत बिश्रामपुर जंगल में एक जंगली हाथी ने एक 55 वर्षीय ग्रामीण को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। मृतक की पहचान बसकटिया गांव निवासी मखड़ू उरांव के रूप में हुई है। घटना उस वक्त हुई जब वे रोज की तरह अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगल की ओर गए थे।
परिजनों के अनुसार, मखड़ू उरांव के मवेशी शाम को घर लौट आए, लेकिन वे खुद नहीं पहुंचे। जब देर रात तक उनका कुछ पता नहीं चला, तो परिवार वालों और ग्रामीणों ने उनकी तलाश शुरू की। रात लगभग 9 बजे, जंगल के भीतर उनका शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला। शव के आसपास हाथी के पैरों के निशान पाए गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उनकी मौत जंगली हाथी के हमले में हुई है।
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए गढ़वा सदर अस्पताल भेजा गया।
हाथियों का लगातार आतंक, ग्रामीणों में भय और आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का एक झुंड पिछले कई दिनों से इस इलाके में सक्रिय है और फसलों के साथ-साथ जान-माल का नुकसान भी कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वन विभाग की “हाथी भगाओ टीम” कभी-कभी ही आती है और उनकी कार्रवाई नाकाफी साबित हो रही है। हाथियों को जंगल से दूर भगाने की कोशिशें विफल होती नजर आ रही हैं।
इस घटना के बाद ग्रामीणों में भारी दहशत और गहरा आक्रोश है। उन्होंने वन विभाग से पीड़ित परिवार को शीघ्र और उचित मुआवजा देने की मांग की है।
2025 में अब तक 11 मौतें, वन विभाग पर उठ रहे सवाल
सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2025 में अब तक केवल रंका वन प्रमंडल में हाथियों के हमले से 11 ग्रामीणों की जान जा चुकी है – जिनमें से 8 मौतें रंका पश्चिमी वन क्षेत्र में और 3 रंका पूर्वी वन क्षेत्र में हुई हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं से पूरा इलाका भयभीत है और लोग जंगल के आसपास जाने से डरने लगे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते वन विभाग द्वारा प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है। उन्होंने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से हाथियों की रोकथाम के लिए ठोस रणनीति और स्थायी समाधान की मांग की है।
गढ़वा: हाथी के हमले में ग्रामीण की दर्दनाक मौत, मवेशी चराने गया था जंगल














