कब्जे की नीयत से दबंगों ने तोड़ी पत्रकार की झोपड़ी मूलभूत सुविधाओं के लिए राज्यपाल,कमिश्नर और डीसी को दिया था ज्ञापन

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जमशेदपुर: परसुडीह के गैंताडीह में तंगहाली और बदनसीबी की मार झेलता एक पत्रकार का परिवार फिर से मुसीबत में आ गया है.दिवंगत पत्रकार विनोद दास के आश्रितों को गत दिनों AISMJWA पत्रकार संगठन द्वारा पत्रकारों और समाजसेवियों के सहयोग से 70 हजार रुपए और श्राद्ध भोज में आर्थिक सहयोग किया गया था.इस राशि से पीड़ित परिवार ने टूटी झोपड़ी को रहने लायक बना लिया था.

गत् 29 अप्रैल को श्राद्धकर्म के बाद से ही पड़ोसी दिवंगत पत्रकार विनोद दास के परिवार को डरा-धमकाकर घर खाली करवाने के लिए प्रताड़ित कर रहे थे.घर खाली नहीं करने पर एक लाख रंगदारी स्वरूप भी मांगी गई थी जिसकी लिखित शिकायत बिनोद दास के पुत्र अभिषेक दास ने स्थानीय थाना परसुडीह को गत् एक मई को दे दी थी.10 दिन बीत जाने के बावजूद थाना प्रभारी फैज अहमद ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की.न ही घटनास्थल पर कोई पुलिस पदाधिकारी पहुंचा.थाना प्रभारी ने इस मामले में एफआईआर या सनहा दर्ज करना भी उचित नहीं समझा.इस बीच पड़ोसियों द्वारा दबंगई दोबारा भी की गई और अभिषेक दास को धमकाया गया कि रविवार को घर छोड़ कर जाओ नहीं तो तोड़ दिया जाएगा.

आज 12 मई को फिर वही हुआ जिसका डर था और पड़ोसी स्थानीय मुखिया सरस्वती टुडू को लेकर वहां जुटे फिर घर खाली करवाने की बात शुरू हुई लेकिन अचानक कुछ युवकों ने तोड़-फोड़ शुरू कर दी.उन लोगों ने दास परिवार की महिलाओं से मारपीट और धक्का-मुक्की भी की.

पत्रकार के आश्रितों ने जब एसोसिएशन के पदाधिकारियों को इसकी सूचना दी तब सभी को थाना आने को कहा गया.पीड़ित सुबह से दोपहर तक थाना प्रभारी के पास दो-तीन घंटे बैठे ही रहे.

फिर ऐसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने इसकी सूचना डीआईजी और थाना प्रभारी फैज अहमद को दी.शहरी जिला अध्यक्ष बिनोद सिंह ने भी सिटी एसपी से आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की.तब थाना प्रभारी रेस हुए और घटनास्थल पहुंचे.

पत्रकारों के बढ़ते दबाव के बाद थानेदार घटनास्थल पहुंचे तो जरूर लेकिन उनके द्वारा तोड़-फोड़ के आरोपियों को ढूंढने पर पता चला कि सभी भाग गए हैं यहां तक कि बार-बार बुलाने पर मुखिया भी थाना नहीं पहुंची.इस घटना से पीड़ित परिवार काफी डरा हुआ है और अभिषेक दास ने कहा है कि हमलोग कल एसपी ऑफिस जाकर अपनी व्यथा बताएंगे.

थानेदार क्यों बने हुए हैं मूकदर्शक?

इस पूरे प्रकरण में थानेदार की भूमिका संदेहास्पद नजर आ रही है क्योंकि जब एक मई को ही पत्रकारों ने उन्हें पहली बार इस संदर्भ में मामला दर्ज करने का आग्रह किया तब से ही वे टाल-मटोल करते रहे हैं.इस बीच अभिषेक दास को दोबारा धमकाया गया और घर खाली करने के लिए कहा गया फिर इसकी सूचना थाना प्रभारी को दी गई.आज भी जब घर में तोड़-फोड़ कर दिया गया और महिलाओं से मारपीट हुई फिर भी थाने में मामला दर्ज नहीं किया गया है.यह समझ नहीं आ रहा है कि आखिर थाना प्रभारी फैज अहमद क्यों मूकदर्शक बने हुए हैं?

मूलभूत सुविधाओं को लेकर राज्यपाल से लेकर उपायुक्त तक गुहार

दिवंगत पत्रकार बिनोद दास के निधन के बाद ऐसोसिएशन द्वारा झारखंड के राज्यपाल,आयुक्त और उपायुक्त को ज्ञापन देकर पीड़ित परिवार को मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने की मांग की गई थी.

एसोसिएशन द्वारा सात सूत्री मांगों में बिजली,पानी,शिक्षा,राशनकार्ड,अबुआ आवास योजना सहित अन्य सुविधाओं से परिवार को लाभान्वित करने की मांग हुई थी.इसके बावजूद एक पत्रकार के परिवार के साथ ऐसी घटना होना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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