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गुमला में जितिया व्रत पर महिलाओं में दिखा उत्साह, निर्जला उपवास के साथ की पूजा-अर्चना

On: September 15, 2025 9:10 AM
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गुमला: संतान की लंबी आयु और कुशलता के लिए माताओं द्वारा रखा जाने वाला जितिया पर्व रविवार को गुमला जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंडों और ग्रामीण अंचलों में श्रद्धा और परंपरा के साथ धूमधाम से सम्पन्न हुआ। विवाहित एवं मातृत्व प्राप्त महिलाओं ने निर्जला उपवास रखकर अपने पुत्रों के मंगलमय जीवन की कामना की। सुबह से ही नदी-तालाबों और पूजा स्थलों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरे वातावरण में आस्था और लोकगीतों की गूंज सुनाई देती रही।

इस बीच पालकोट प्रखंड के टेंगरिया कोनसलता, बगरू पंचायत के हरिनगर और उमड़ा पंचायत के कुरूम, और नवाटोली मे सरना और सनातनी माताओ के द्वारा भी जीवित्तपुत्रिका ब्रत किया गया जिसमे ब्यावस्थापक मे समाज सेवियों का अहम् योगदान देखने को मिला। टेंगरिया कोनसलता मे मुकेश सिंह, संजीव प्रसाद, विजय प्रसाद, गौतम सिंह के द्वारा माताओ के लिए पूजा स्थल बनाया गया वही नवाटोली मे राजू लोहरा और कुरूम मे दुखेश्वर लोहरा और जुगेश्वर सखी सिंह के द्वारा और हरी नगर मे जगदीश साहू रोशन साहू इत्यादि समाज सेवियों के द्वारा पूजन स्थल और सामग्री का ब्यावस्था किया गया था जिसमे विजय बाबा के द्वारा पूजन कराया गया।

घर-घर में बने पारंपरिक व्यंजन

पर्व को लेकर घर-घर में नोनखटवा, पिदकी, कचड़ी और अन्य पारंपरिक व्यंजन बनाए गए। महिलाएँ निर्जला उपवास में रहीं, लेकिन घर-परिवार के अन्य सदस्यों ने इन विशेष पकवानों का आनंद लिया।

ग्रामीण अंचलों में सामूहिक उत्सव

गांवों में महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा श्रवण, लोकगीत और नृत्य प्रस्तुत कर माहौल को जीवंत बना दिया। जगह-जगह पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन और सामूहिक पूजा ने त्योहार को विशेष रंग दिया।

बाजारों में रही भारी चहल-पहल, सब्जियों के दामों में उछाल

जितिया पर्व को लेकर गुमला शहर और प्रखंडों के बाजारों में दिनभर रौनक रही। पूजा सामग्री, श्रृंगार, साड़ी और फल-फूल की जमकर खरीदारी हुई। वहीं, इस पर्व में खास महत्व रखने वाली हरी सब्जियों के दामों में कई गुना उछाल आ गया।

जिंगी सत्पुटिया  ₹300 किलो बिकी।

नौनी का साग ₹200 किलो तक प्रति किलो पहुंच गया।
पोई साग ₹100 किलो,
ओल 60 से 80 रूपये प्रति किलो,

बुढ़ा खीरा ₹100 से ₹200 प्रति पीस बिका।


आपूर्ति कम और मांग ज्यादा होने से सब्जियों के दाम आसमान छू गए। इस महंगाई के बावजूद महिलाओं ने परंपरा निभाने के लिए सब्जियां खरीदीं और व्रत सामग्री पूरी की।

आस्था और त्याग का पर्व

स्थानीय पंडितों और विद्वानों के अनुसार जितिया पर्व मातृत्व की अटूट आस्था और त्याग का प्रतीक है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं और उनके जीवन में समृद्धि आती है।

जिलेभर में पर्व का उल्लास

गुमला मुख्यालय के साथ-साथ चैनपुर, डुमरी, जारी,सिसई, बसिया,कामडारा, भरनो, बिशुनपुर, पालकोट, घाघरा और रायडीह समेत सभी प्रखंडों और गांवों में पर्व पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा से मनाया गया। शाम को माताओं ने व्रत का पारायण कर प्रसाद ग्रहण किया और संतोषपूर्वक पर्व सम्पन्न किया।

इस वर्ष का जितिया पर्व न केवल आस्था और परंपरा का सशक्त प्रदर्शन रहा, बल्कि सब्जियों की महंगाई ने भी लोगों को खासा प्रभावित किया।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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