मदन साहु
सिसई (गुमला): रंजीत नारायण सिंह सरस्वती शिशु विद्या मंदिर कुदरा में योग गुरु गजराज महतो जी के सानिध्य में विद्यालय के छात्र- छात्राओं के साथ सभी शिक्षकों ने योगाभ्यास किये। सर्व प्रथम माँ सरस्वती, माँ भारती के चरणों में सामूहिक दीप प्रज्ज्वलित कर पुष्प अर्पित करते हुए नमन किया।

तत्पश्चात योग गुरु जी ने योग को अपने दैनिक रुटिन में शामिल कर तन – मन को निरोग कर आनंदमय जीवन जीने को कहा। जीवन दायिनी तीन प्राणायाम का विधि पूर्वक अभ्यास कराया गया। और उन्होंने बतलाया कि, ब्रह्म मूहुर्त के पावन बेला मे भस्त्रिका प्राणायाम, कपाल भांति प्राणायाम व अनुलोम- विलोम प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर के समस्त नस – नाडि़यां सक्रिय हो जाती है। जिससे शरीर के सभी अंग प्रत्यंग सुचारू रुप से कार्य करते हैं। अंदर के आंतरिक अंग जैसे श्वास नली, फेफड़ा, हृदय, यकृत, पाचनतंत्र, पैंक्रियाज व किडनी अगले 100 वर्षों तक निरोग रहते हैं। इनके नित्यदिन अभ्यास से बी. पी., सुगर, अस्थमा, थायराइड अपच आदि गंभीर रोग से छुटकारा संभव है। और तन- मन की शुद्धि भी होती है।

उन्होंने कहा कि, हमारे पूर्वजों व ऋषि – मुनियों ने इस अनमोल विद्या को अपनाकर 100 वर्षों से अधिक जीवन जिया है। हमारे शरीर के सभी अंगो की आयु लगभग 400 वर्षों की है। परन्तु हमारी दिनचर्या सही नहीं होने के कारण हमारी सभी अंग समय से पहले रोगग्रस्त होकर निष्क्रिय हो जाते हैं। अत: हम सभी को सपरिवार योगाभ्यास कर अपने तन- मन को आरोग्य लाभ देना है। प्रतिदिन प्रातः ध्यान, आसन, प्राणायाम के साथ ईश वंदन कर मन की शुद्धि करना है, और परम पिता परमेश्वर का आर्शीवाद प्राप्त करना है। सभी लोगों को हाथ व पैरों की सुदृढता के लिए सुक्ष्म – व्यायाम का अभ्यास कराया गया।
