भटके मन को एक जगह केन्द्रित करके बांध लेने का  नाम है योग – जीयर स्वामी

ख़बर को शेयर करें।

शुभम जायसवाल

श्री बंशीधर नगर (गढ़वा):– पूज्य संत श्री श्री 1008 श्री लक्ष्मी प्रपन्न जियर स्वामी जी महाराज ने कहा कि शुकदेवजी महाराज से राजा परीक्षित ने पुछा की ये हमारे भावना आएंगे कैसे। तो सुकदेव जी महाराज ने कहा कि इसके लिए योग को करना पडेगा। तो फिर प्रश्न किया कि  योग कितने हैं किसे कहते हैं। योग केवल इतना ही नही की सांस को लेना फिर छोड़ना। यह केवल स्वास्थ्य लाभ के लिए अच्छा है। लेकिन इतने से हम योग के अधिकारी हो जाएंगे यह  बात नही है। योग का अर्थ है कि हमारा मन, चित्  बुद्धि कहीं भटक गया है, कहीं अटक गया है, उसको चारो तरफ से केन्द्रित करके, पकड़ करके, समझा करके और एक जगह ला करके बांध लेना इसी का नाम है योग।

चित् की चंचलता को रोका नही जा सकता।



स्वामी जी महाराज ने बताया कि चित् की चंचलता को रोका नही जा सकता है। मोड़ा जा सकता है। इसको दुसरे जगह ट्रांसफर किया जा सकता है। प्रतिस्थापित किया जा सकता है। जो चीज नही रूकने वाला है उसे कैसे आप रोक सकते हैं। इसलिए मन को लगाना है तो वहां लगाइए जिसने पुरे संसार को बनाया है। उन्ही में अपनी चित् की चंचलता को लगा दीजिए। और जब जब मन करता है कुछ गुनगुनाने की तो मुरली वाले की नाम को गाइए। घुमने की इच्छा हो तो क्लब में मत जाइए। बल्कि विन्ध्याचल, अयोध्या, मथुरा, काशी चले जाइए। ऐसा करने से एक न एक दिन जो गलत प्रक्रियाओं में लग गया है वह अगत्या मुड़ जाएगा और मुड़कर हमेशा-हमेशा के लिए उससे अलग हो जाएगा।

जीवन निर्वहन के क्रम में अपनी आवश्यकताओं को कम करते हुए न्यूनतम साधन एवं संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। इसी में स्वहित एवं राष्ट्रहित समाहित है। वस्तुओं का अत्यधिक मात्रा में उपयोग से उनका दुरूपयोग होता है, श्री स्वामी जी ने कहा कि खाली पात्र में ही जल या वस्तु डाली जा सकती है। भरे हुए पात्र में कुछ डालने पर वह गिरने लगता है। उसी तरह अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को जरूर पूर्ति करनी चाहिए, लेकिन विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए अनीति अत्याचार से धन नहीं जुटाना चाहिए। समाज में ऐसे -कभी दूध पीना छोड़कर माता को अपलक निहारने लगता है।

स्वामी जी ने कहा कि मुक्ति पाँच तरह की होती है। भगवान के लोक में रहना सालोक्य मुक्ति, भगवान के पास रहना सामीप्य मुक्ति, भगवान के समान रूप बनाना सारूप्य मुक्ति, भगवान के समान सृष्टि का अधिकारी सासृष्ट मुक्ति और भगवान में अपने को विलय करना सायुज्य मुक्ति कहलाता हैं। इन मुक्तियों के अधिकारी भी भगवान के अधीन रहते हैं। भक्ति योगः जिस व्यवहार, आचरण और कर्म से भगवान के प्रति निष्ठा हो जाए वही भक्ति है।

Video thumbnail
गढ़वा अतिक्रमण विवाद: विधायक सतेंद्रनाथ तिवारी ने प्रशासन पर दमन और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए #garhwa
06:39
Video thumbnail
हर हर महादेव संघ ने ठंड से ठिठुरते लोगों की ली सुधि, खुशी से लोगों ने लगाया भोलेनाथ का जयकारा
01:30
Video thumbnail
उर्सुलाइन इंग्लिश मीडियम स्कूल मुरी में क्रिसमस गैदरिंग का आयोजन किया गया
01:57
Video thumbnail
एमके इंटरनेशनल स्कूल का तृतीय वार्षिक खेल महोत्सव संपन्न: प्रतिभाओं को मिला सम्मान और प्रोत्साहन
06:44
Video thumbnail
रिटायर्ड ट्यूब कमी से साइबर ठगोंं ने 50000 ऐसे उड़ाए लेकिन बाकी पैसे उन्होंने ऐसे बचाए!
02:30
Video thumbnail
रांची : देवेंद्र नाथ महतो का आह्वान, जेपीएससी अध्यक्ष नियुक्ति के लिए कल ट्विटर अभियान
03:31
Video thumbnail
श्री बंशीधर नगर: अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बुलडोजर एक्शन जारी, वसूला जुर्माना, बोले..!
03:00
Video thumbnail
मेरठ :कथा वाचक प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा में मची भगदड़, कई घायल
01:08
Video thumbnail
गढ़वा पहुंची भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने स्टेज पर लगाए ठुमके,कलाकारों को ऐसा क्यों बोली सुनिए..?
28:42
Video thumbnail
श्री बंशीधर नगर : अतिक्रमण पर प्रशासन का प्रहार: बुलडोजर से हटाए गए अवैध निर्माण
05:14
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Related Articles

- Advertisement -

Latest Articles