इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कुर्रम जिले में मंगलवार रात हुए भीषण आतंकी हमले में 11 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हो गई। मारे गए जवानों में दो अधिकारी और नौ सैनिक शामिल हैं। यह मुठभेड़ उस वक्त हुई जब पाकिस्तानी सेना अफगान सीमा से सटे इलाके में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ एक सैन्य अभियान चला रही थी।
सेना की मीडिया विंग इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन (ISPR) के मुताबिक, ऑपरेशन के दौरान आतंकियों ने पहले सैनिकों के काफिले पर बम से हमला किया और इसके बाद अंधाधुंध गोलीबारी की। जवाबी कार्रवाई में सेना ने भीषण मुठभेड़ के बाद 19 आतंकियों को मार गिराया।
ISPR का दावा है कि ऑपरेशन एक खुफिया सूचना के आधार पर शुरू किया गया था, जिसमें कुर्रम क्षेत्र में “फितना अल-ख्वारिज” नामक आतंकी संगठन के ठिकानों की मौजूदगी की बात कही गई थी। पाक सेना TTP को इसी नाम से पुकारती है। “फितना” का अर्थ है ‘अशांति फैलाने वाले’ जबकि “अल-ख्वारिज” का मतलब ‘चरमपंथी रास्ते पर चलने वाले’ होता है।
भारत पर समर्थन देने का आरोप
ISPR ने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि इस हमले के पीछे भारत का हाथ हो सकता है। सेना का कहना है कि हमला करने वाले आतंकियों को “भारतीय प्रॉक्सी संगठनों” से समर्थन मिल रहा है, हालांकि इस आरोप के पक्ष में कोई ठोस सबूत अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
TTP ने ली हमले की जिम्मेदारी
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को भेजे एक बयान में TTP ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। संगठन ने कहा कि उनके लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना के काफिले को निशाना बनाया। बयान में यह भी दावा किया गया कि उनके लड़ाकों ने “बड़ी संख्या में सैनिकों को हानि पहुंचाई।”
TTP: एक बढ़ता हुआ खतरा
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) की जड़ें अफगानिस्तान के तालिबान आंदोलन से जुड़ी हुई हैं, हालांकि यह संगठन पाकिस्तान में स्वतंत्र रूप से सक्रिय है। इसकी स्थापना 2007 में बैतुल्लाह महसूद ने की थी, जो दक्षिण वजीरिस्तान के प्रभावशाली चरमपंथी नेता थे।
2020 के बाद TTP ने अपने कई बिखरे हुए गुटों को फिर से एकजुट कर लिया है और तब से यह संगठन पाकिस्तान के भीतर सुरक्षा बलों और सरकारी संस्थानों पर हमले तेज करता जा रहा है। खासकर खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में इसकी गतिविधियां अधिक सक्रिय देखी गई हैं।
पाकिस्तान की चुनौतियां बढ़ीं
TTP के बढ़ते हमले पाकिस्तान के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती बनते जा रहे हैं। सेना का दावा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रही है, लेकिन बार-बार हो रहे हमलों से यह सवाल उठने लगा है कि देश के भीतर सुरक्षा व्यवस्था कितनी प्रभावी है।
इस हालिया घटना ने एक बार फिर से पाकिस्तान में आंतरिक सुरक्षा और अफगान सीमा से सटी नीतियों को लेकर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक TTP को अफगान क्षेत्र में पनाह मिलती रहेगी, तब तक पाकिस्तान के लिए इस खतरे का पूरी तरह से खात्मा करना मुश्किल होगा।
TTP के हमले में 11 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत, मुठभेड़ में 19 लड़ाके भी ढेर; भारत पर हमलावरों को समर्थन देने का आरोप













