जतपुरा में मनाई गई डॉ. रत्नप्पा कुम्हार की 115वीं जयंती

On: September 15, 2024 9:28 AM

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अजीत कुमार रंजन
बिशुनपुरा (गढ़वा): बिशुनपुरा प्रखंड मुख्यालय के सरांग पंचायत के ग्राम जतपुरा में 15 सितम्बर दिन रविवार को शिक्षक उमेश प्रजापति के आवास पर रत्नप्पा कुम्हार की 115वीं जयंती मनाई गई।
वहीं जयंती समारोह को सम्बोधित करते हुए समाजसेवी यशवंत प्रजापति ने डॉ. रत्नप्पा भरमप्पा कुम्भार के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रत्नप्पा कुम्हार का पूरा नाम डॉ. रत्नप्पा भरमप्पा कुम्भार है। वह भारतीय संविधान सभा के सदस्य भी थे। उन्होंने बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर के साथ भारतीय संविधान के अंतिम मसौदे पर हस्ताक्षर भी किया था। उनका जन्म 15 सितंबर 1909 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के शिरोल तहसील क्षेत्र के नीमशीर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम भरमप्पा कुम्भार था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा कोल्हापुर स्थित राजाराम हाई स्कूल से ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने 1933 में कोल्हापुर स्थित राजाराम कॉलेज से अंग्रेजी विषय में स्नातक की उपाधि हासिल की। फिर वे कानून की पढ़ाई करने लगे। बाद में पुणे विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट की मानद उपाधि से भी नवाजा था। उन्होंने 1934 में पार्वती देवी से शादी की। उनके परिवार में तीन बेटियां हैं। डॉ.रत्नप्पा ने 15 फरवरी 1938 को सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार माधवराव बागल और कवि दिनकर देसाई आदि के साथ मिलकर प्रजापरिषद नामक संगठन की स्थापना की। इसके बैनर तले वे लोगों को रियासतों के शासकों के खिलाफ लामबंद करने लगे। उन्हें लोगों का समर्थन भी मिलने लगा था। इससे नाराज कोल्हापुर रियासत के शासकों ने 8 जुलाई 1939 को उन्हें और देसाई को गिरफ्तार कर लिया। कोल्हापुर की रियासत ने उन पर जुर्माना भी लगाया। वहां से रिहा होने के बाद उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इसकी वजह से उन्हें छह साल तक भूमिगत भी रहना पड़ा था। स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उनके समर्पण और कार्यों की वजह से लोगों ने उन्हें देशभक्त की उपाधि दे दी जिसकी वजह से उन्हें देशभक्त रत्नप्पा कुम्भार कहा जाने लगा। देश की आजादी के बाद डॉ. रत्नप्पा ने 24 जनवरी 1950 को बॉम्बे प्रांत से भारतीय संविधान सभा के सदस्य के रूप में शपथ ली और भारतीय संविधान के अंतिम मसौदे पर बाबा साहब डॉ.भीमराव अंबेडकर के साथ हस्ताक्षर किया। 1952 में डॉ.रत्नप्पा कांग्रेस पार्टी से लोकसभा सांसद निर्वाचित हुए। 1955 में उन्होंने हत्कनांगल तहसील क्षेत्र में पंचगंगा सहकारी चीनी उद्योग की स्थापना की। उन्होंने महाराष्ट्र में सहकारिता आंदोलन और शिक्षा के क्षेत्र में में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। देशभक्त रत्नप्पा कुम्हार ने 1933 में शाहाजी लॉ कॉलेज, 1955 में पंचगंगा कोऑपरेटिव सुगर फैक्टरी, 1957 में डॉ.रत्नप्पा कुम्भार कॉलेज ऑफ कॉमर्स, 1960 में दादा साहेब मग्दम हाई स्कूल, 1961 में नव महाराष्ट्रा कोऑपरेटिव प्रिंटिंग एवं पब्लिकेश सोसाइटी लिमिटेड, 1963 में कोल्हापुर जनता सेंट्रल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर स्टोर्स, 1963 में रत्नदीप हाई स्कूल, इचलकरांजी, 1968 में कोल्हापुर जिला शेतकारी वींणकारी सहकारी सूत गिरानी लिमिटेड, 1971 में नाइट कॉलेज ऑफ आर्ट्स ऐंड कॉमर्स कोल्हापुर और 1975 में कोल्हापुर एल्यूमिना इंडस्ट्री (1975) की स्थापना की। इचलकरंजी निवासी देशभक्त डॉ.रत्नप्पा कुम्हार महाराष्ट्र विधानसभा में शिरोल विधान परिषद सीट से करीब 28 साल तक विधायक रहे। वह 1962 से 1982 तक लगातार 20 साल तक विधान परिषद में शिरोल का प्रतिनिधित्व करते रहे। वह 1974 से 1978 तक महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भी रहे। 1982 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि समाज सेवा के क्षेत्र उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने 1985 में उन्हें पद्मश्री अवार्ड से नवाजा। वह 1990 में एक बार फिर से शिरोल विधानसभा से निर्वाचित हुए और अपनी मृत्यु तक विधायक रहे। उनकी मृत्यु 23 दिसंबर 1998 को हार्ट अटैक की वजह से हो गई थी।
वहीं जयंती समारोह कार्यक्रम मे शिक्षक उमेश प्रजापति, समाजसेवी यशवन्त प्रजापति, अजय कुमार प्रजापति, राम प्रसाद प्रजापति, अशर्फि प्रजापति, जगनारायण प्रजापति, नितीश प्रजापति, अक्षय प्रजापति, विजय प्रजापति सहित कई लोग उपस्थित थे।