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बहराइच के अवैध मदरसे से हैरान करने वाला मामला, शौचालय से बरामद हुईं 40 नाबालिग बच्चियां

On: September 25, 2025 9:12 PM
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बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में प्रशासन और पुलिस की संयुक्त टीम ने गुरुवार को एक अवैध मदरसे की जांच के दौरान ऐसा दृश्य देखा, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। मामला पयागपुर तहसील के पहलवारा गांव का है, जहां तीन मंजिला इमारत में संचालित इस गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे में निरीक्षण के दौरान शौचालय से करीब 40 नाबालिग बच्चियां बरामद की गईं।

कैसे हुआ खुलासा?

सूत्रों के मुताबिक, प्रशासन को मदरसे के संचालन को लेकर शिकायत मिली थी। इसी आधार पर उप जिलाधिकारी अश्विनी कुमार पांडे के नेतृत्व में पुलिस और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की टीम ने छापेमारी की। शुरुआत में मदरसा प्रबंधन ने टीम को ऊपरी मंजिल पर जाने से रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में अधिकारी जब ऊपर पहुंचे, तो देखा कि छत पर बने शौचालय का दरवाजा बंद है।

दरवाजा खुलवाने पर एक-एक कर करीब 9 से 14 साल की उम्र की 40 बच्चियां बाहर निकलीं। टीम के सामने आते ही बच्चियां डरी-सहमी नजर आईं और कुछ भी स्पष्ट बताने की स्थिति में नहीं थीं।

शिक्षिका का सफाईनामा

जब अधिकारियों ने बच्चियों को शौचालय में छिपाने की वजह पूछी, तो मदरसा की शिक्षिका तकसीम फातिमा ने कहा कि अचानक हुई कार्रवाई से घबराहट फैल गई थी और बच्चियां डर के कारण वहां छिप गई थीं।

प्रशासन की कार्रवाई

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मोहम्मद खालिद ने बताया कि मदरसे के दस्तावेज और गतिविधियों की जांच की जा रही है। चूंकि यह मदरसा मान्यता प्राप्त नहीं था, इसलिए इसे तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दे दिए गए हैं। सभी बच्चियों को सुरक्षित उनके घर भेजने की व्यवस्था की जा रही है।

अधिकारियों का कहना है कि अगर इस मामले में बाल अधिकारों का उल्लंघन साबित होता है, तो जिम्मेदार लोगों पर कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस का रुख

अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) रामानंद प्रसाद कुशवाहा ने कहा कि अभी तक किसी अभिभावक या अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर नहीं दी है। यदि शिकायत मिलती है तो पुलिस कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करेगी।

सुरक्षा में गंभीर लापरवाही

जांच के दौरान यह भी सामने आया कि मदरसा बिना मान्यता के तीन मंजिला इमारत में संचालित हो रहा था। सुरक्षा और निगरानी के पर्याप्त इंतजाम न होने से बच्चियों की जान को खतरा था। इस घटना ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

ग्रामीण और समाजसेवी चिंतित

गांव और आसपास के इलाकों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। कई अभिभावक कह रहे हैं कि ऐसे मदरसे बच्चों की सुरक्षा, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इसे गंभीर बाल अधिकार हनन बताया और मांग की कि अवैध मदरसों की नियमित जांच कर उन्हें बंद कराया जाए।

आगे की रणनीति

प्रशासन ने साफ किया है कि जिले में चल रहे सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है बल्कि यह भी सवाल खड़े करती है कि आखिर ऐसे अवैध संस्थान इतने लंबे समय तक बिना जांच के कैसे संचालित होते रहे।

Vishwajeet

मेरा नाम विश्वजीत कुमार है। मैं वर्तमान में झारखंड वार्ता (समाचार संस्था) में कंटेंट राइटर के पद पर कार्यरत हूं। समाचार लेखन, फीचर स्टोरी और डिजिटल कंटेंट तैयार करने में मेरी विशेष रुचि है। सटीक, सरल और प्रभावी भाषा में जानकारी प्रस्तुत करना मेरी ताकत है। समाज, राजनीति, खेल और समसामयिक मुद्दों पर लेखन मेरा पसंदीदा क्षेत्र है। मैं हमेशा तथ्यों पर आधारित और पाठकों के लिए उपयोगी सामग्री प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं। नए विषयों को सीखना और उन्हें रचनात्मक अंदाज में पेश करना मेरी कार्यशैली है। पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करता हूं।

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कानपुर का “I Love Mohammad” विवाद : पोस्टर से भड़की बड़ी बहस
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प्रशासन का कहना है कि यह विवाद असल में “बिना अनुमति बैनर लगाने” का है, लेकिन इसे धर्म से जोड़कर फैलाने की कोशिश की जा रही है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह की अफवाह या नफरत फैलाने वाले काम को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और शांति व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
यह विवाद कानपुर तक सीमित नहीं रहा। धीरे-धीरे इसकी आंच उन्नाव, बरेली और यहां तक कि उत्तराखंड तक पहुंच गई। वाराणसी में साधु-संतों ने इसका जवाब “I Love Mahadev” पोस्टर लगाकर दिया। इस तरह मामला एक “पोस्टर वार” में बदल गया, जिससे समाज में तनाव की स्थिति पैदा होने लगी।
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों ने पुलिस प्रशासन से शांति बनाए रखने और किसी भी तरह की भड़काऊ गतिविधि को रोकने की अपील की। वहीं, कुछ सामाजिक संगठनों ने भी कहा कि धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए और ऐसे विवादों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।
यह पूरा घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि छोटे-छोटे मुद्दे भी अगर सही समय पर नियंत्रित न किए जाएं तो वे बड़े विवाद का रूप ले सकते हैं। समाज को चाहिए कि आपसी भाईचारे और सद्भाव को बनाए रखते हुए ऐसे मामलों से दूरी बनाए।

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